बिद्वेषण प्रयोग कैसे करें?

Bidweshan Prayog Kaise Kare ?

इन प्रयोगों को बिद्वेष पैदा करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है । प्रमुख प्रयोगों को बताते हुए भगबान महेश शिबगिरि से कहते हैं कि –
 
ईश्वर बोले- हे योगीराज ! अब द्वेषण प्रयोग सुनो । इसके करने से द्वेषण में बडी सिद्धि प्राप्त होती है ।
 
बिलाब और चूहे की बिष्ठा लेकर उसमें शत्रु के पैर के तले की मिट्टी लेकर मिलाबे ।
मंत्र को सौ बार जप करके उससे आदमी का पुतला बनाये और नीला कपडा लपेटकर शत्रु के घर में गाड दे । इससे पिता और पुत्र तक में शीघ्र लडाई हो जाती है । सांप और नकुल के दांत पीसकर उनमें चिता की राख मिलाये ।
 
और अलग पुतले बनाकर जुदे – जुदे उनके नाम लेकर मंत्र से उन पर पानी के छीटे दे और किसी बगीचे में धरती में गाड दे तो उन में जरुर आपस में लडाई हो जाती है ।
 
हाथी और शेर के दांतों को पीसकर और अनमें मकख्न मिलाकर जिन जिनका नाम लेकर अग्नि में होम करे अनमें आपस में लडाई हो जाए ।
बिद्वेषण मंत्र : “ॐ नमो नारदाय अनयोबिद्वेषं कुरू कुरू ऐं ह्रीं क्लीं फट स्वाहा ।”
 
ध्यान दें : शत्रु परिबार में झगडा कराने के लिए बिद्वेषं मंत्र प्रयोग (Bidweshan Prayog) में लाए जाते हैं । इन मंत्रों का ब्यर्थ ही प्रयोग नहीं करना चाहिए । इससे साधक की सिद्धि नष्ट होती है । आबश्यक होने पर ही इसका प्रयोग करना चाहिए । मंत्र जप आदि गुरु के निर्देशानुसार करने चाहिएं ।

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जय माँ कामाख्या

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