पहले तो ये जान लीजिए वशीकरण शब्द तो वशीभूत क्रिया के लिए के लिए प्रयोग होता है । किसी दूसरे मनुष्य या प्राणी को वशीभूत करने के लिए पंचभूत सिद्धांत को समझना होगा, क्योंकि मनुष्य शरीर पांच भूतों से बना है । 1. पृथ्वी 2. अग्नि 3. वायु 4. जल और 5. आकाश, ये सभी पंचमहाभूत हैं । ये सभी परस्पर बलवान हैं, इनमें सबसे बलवान आकाश भूत है, आकाश अर्थात आत्मा (आत्मा का निवास मस्तिष्क भाग में है) । वशीभूत होने के पश्चात वशीभूत होने वाले मनुष्य या प्राणी के मस्तिष्क पर वशीभूत करने वाले मनुष्य का आकाश भूत अपना अधिकार कर लेता है, और वे वशीभूत करने वाले की किसी निश्चित समय के लिए संबंधित (केवल प्रयोजन से संबंधित) आज्ञा का पालन करने लगता है, अर्थात यह अधिकार वशीकृत करने वाले को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता, अपितु जिस स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए वशीकृत किया जाता है, केवल उसी विशेष प्रयोजन के लिए जितना भाग (आकाश तत्व का भाग) ही वशीकृत होता है । किसी विशेष प्रयोजन, कर्म या क्रिया के लिए, और किसी निश्चित अवधि के लिए ही किसी को वशीकृत किया जा सकता है । पूरी तरह इस विज्ञान को बिना समझे हम वशीकरण की क्रिया को नहीं समझ सकते है, ना ही इस क्रिया को सफल बना सकते है । किसी विकट स्थिति में जब कोई अपना दूर होता दिखाई दे या फिर कोई रिश्ता टूट रहा हो और उस रिश्ते को बचाना जरूरी लगता हो, इसी स्थिती में वशीभूत क्रिया का यह गायत्री तंत्र वशीकरण प्रयोग (Gayatri Tantra Vashikaran Prayog) संपन्न किया जा सकता है, यहां आगे की पंक्तियों में गायत्री तंत्र का एक प्रयोग प्रस्तुत कर रहे हैं, आवश्यकता होने पर इस तंत्र प्रयोग को आप सम्पन्न कर सकते हैं, और कभी-कभी ऐसा प्रयोग करना जरूरी भी हो जाता है ।
यह गायत्री तंत्र प्रयोग (Gayatri Tantra Vashikaran Prayog) बहुत प्रभावशाली है, इस प्रयोग का अन्य उग्र तांत्रिक प्रयोगों की तरह कोई दुष्प्रभाव नहीं है, परंतु यह सफल तभी होता है जब इस ‘तंत्र प्रयोग’ का नाजायज इस्तेमाल नहीं किया जाये ।
सरल वशीकरण जब कोई अधिकारी, मालिक, रिश्ते में सम्बंधी अथवा पति या पत्नी नाराज हो जायें, तब उन्हें मनाना जरूरी हो जाता है। इसमें कठिनाइयां अधिक हो रही हों, तब यह ‘तंत्र प्रयोग’ प्रयोग जायज है ।
Gayatri Tantra Vashikaran Prayog & Samagri :
एक पीपल का पत्ता, अनार की कलम, लाल चंदन की लकड़ी, एक थाली, एक आचमनी या चम्मच, और एक तांबे का लोटा । रात्रि में पवित्र भाव से एक शुद्ध आसन पर उत्तराभिमुख होकर बैठें, सामने एक थाली में पीपल के पत्ते पर लाल चंदन की स्याही से अनार की कलम द्वारा जिसका वशीकरण करना हो, उसका नाम लिखकर पत्ता उल्टा करके रख दें । लोटा जो जल से भरा हो, उसमें से एक-एक आचमनी या चम्मच पानी लेकर पीपल के पत्ते पर एक-एक मंत्र का उच्चारण करते हुये डालते रहें, 108 बार जल मंत्र पढ़ते हुये डालना है । मंत्र पाठ के समय दुर्गा वेशधारी माता गायत्री का ध्यान करें । साधारण अवस्था में यह गायत्री तंत्र प्रयोग (Gayatri Tantra Vashikaran Prayog) एक सप्ताह (सात दिन) में ही अपना प्रभाव दिखा देता है, परंतु यदि समस्या गहरी हो तो, अधिक दिन भी करना पड़ता है ।
Gayatri Mantra :
मंत्र- “ॐ क्लीं क्लीं क्लीं क्लीं क्लीं भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”
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