कामाख्या बन्दना

Kamakhya Bandana :

कामाख्या बन्दना (Kamakhya Bandana ) :
ओम गुरुजी आदि-अनादि महमाया महाकाल की महाकाली।
माई जोगणी जगदम्बा । जगत जननी कामाख्या काली। तू ही
अम्बा-अबलम्बा, खांडो-खपर हाथ लिये प्रकटी काल की माई
कामरु देश तू कामाख्या केलाणी, कलकता की दखिण काली ।
पाबागड की तू ही महाकारी काल की तू ही काली आदिशक्ति
आदि कुंबारी सारी सृष्टि तू ही अपजाई तेरी महिमा कौन जानें माई
मैं बेटो तू ही मेरी माई । मैं काली नाथ तेरो ध्यान लगाऊं बिधि ना
जानू बेद ना जानू में बडों अज्ञानी अपनी माया आप ही जानों हम
न जाने मोरी माई। गुरो कहो तेरो नाम ही जग में अपरम्पार। ब्रह्मा-
बिष्णु-महेश भी धरे ध्यान तेरो। दो मुझो अपनी भक्तिदान, मेरे
शिरे रखो तो हाथ, पुत्र भाब से दया करो। अपनी शरण में रखो
माई में मांगूं तेरी सेबाभक्ति, सारो जीबन धरु में ध्यान तेरो, माया
से मोही तू ही बचाबें। पाप अधर्म के नेडो न जुऊं सत्य-असत्य
को ज्ञान कराईजे मोही । तन-मन-जीबन तेरे हबाले । पकड हाथ
अब मेरो माई, बेटो समझ के गोदी बिठाब । तू मेरी माई में तेरो
बाल, अब तो अपनी कृपा कर काली चण्डी चामुण्डा देबी। तुम
जगमाता कल्याणी पापी को भख । साधु सन्त को रख। हर पल
मोरी रख्या करो महामाई । तुम घट की बासिनी भूत-प्रेत रहती । सब
सिद्धि की माई । श्मशाण काली कपालिनी मरघट बाली, तोई
भक्त करी सहाई। हम बालक अबोध ना जाणो तो ही सार। तेरी
महिमा अपरम्पार । कालों की भी तू है काल हाथ खडग खपर
गले मुण्डो की माल मस्तक पर महाजटा शुभे । महारुद्राणि चण्डि
देबी प्रियनयन बाली मेरी माई कामाख्या काली । में बन्दना-स्तुति
करुं अब मुझो ज्ञान दो, घोर कलियुग से तू ही बचाई हो । मेरो
करो कल्याण माई हो साधू-योगी की सहाई । नाथ गुरु से लिन्हीं
दीख्या-तब तेरो मंत्र जाणों दिन्हा मोई गुरु आदेश तब कीन्ही तेरी
सेबा अघोरी की माई नाथों की तू माई, जग की तू ही माई सत्य
की है तू सहाई तेरे चरणों की करूं मैं कालीनाथ पूजा-बन्दन,
सदा कृपा बनाई रखहुं सत्य की सहाई। ओम नमो कामरू देश
कामाख्या महाराणी ईस्माइल जोगी किन्ही भक्ति । सब साधु-योगी
करे जब तेरो स्मरण तब हो जाये योग सफल, सब चाबी
तेरे हाथ । दूजा सभी नाचे-नाचापल माही खेल रचाये। पलमा ही
कर तु ही भंग सभी तेरी माया के बनकर खिलोना खेले-खेल
समझ ना पाई तेरी गतनियारि बिन कृपा तिरौ । जानन सके तेरो
सार । राम-राबण तेरी माया के होकर अधिन लडिया चडिया,
युद्ध कीन्हा । दोनों के बीच लडाई कराई । सीतामाई को आधार
बनाई। सारे संसार में माया रचाई । सोने की लंका भी तू ही ने
भस्म कराई। तू ही बनाबत तू ही बिगाडत, बाकी सारों को नाच
नचाबत सभी डोरे तेरे हाथ तुझो छोड में काहुको जाऊ । दूजा के
पास जीबन मरण तेरे हाथ, सारा जग तेरा अंश है । मेरी माई राजा
हो चाहे रंक इन्द्र हो चाहे कुबेर तेरे आगे सबही भिखारी । मैं भी
मागुं तुझ से ही शिख्या-भिख्या। शिख्या देकर ज्ञान समझाइये । भिख्या
में अपनी भक्ति दीजे माई कामाख्या मुझो दास बना दे तेरा, यही
मेरी कामना पूर्ण कीजे माई, सब सच्ची कामाख्या कामरु की तू
कहाई । नमो नम: कामाख्या काली माई को जो भी साधक तेरे दर
पे बैठ करें पाठ, उसकी बिगडी तू ही बनाबत । काली तत्व को
करे समान उस को माई लेही बचाय। साचो साधक जो भी धरे
माई तेरो ध्यान उन्हें कामाख्या पली में ही तारे । पापी-पाखण्डी
को मारे, भंख साधु-संन्यासी को रखा चल-चल माई कामरू
कामाख्या को मन्तर साचो जोगी पढे तो माई भक्ति सदा ही पाबे ।
सबहु बाधा संकट से मुक्त हो जाई यही बन्दना नाथ काली कहे ।
सत्य की सहाय सदि तक होयी ई-माई जय कंकाल मालिनी,
महामाई तुझे कोटि-कोटि नमन सत्य नाम आदेश श्री नाथ जी
गुरु महाराज को ।।
Kamakhya Bandana Vidhi Vishesh :
कामख्या माता की मन्त्र तंत्र विधि में सबसे प्रिय और हर भक्त के मुख में कामख्या बंदना (kamakhya bandana) भक्त की भक्ति को कई गुणा बढ़ा देता है । माता की पूजा में बंदना एक अभिन्न अंग बोला जाए तो अतुक्ति नही होगा । साधकों इस कामाख्या बन्दना (Kamakhya Bandana) पाठ की बिधि किसी नाथ भक्त (किसी सिद्ध महात्मा) से प्राप्त करें । इसके बाद भक्त कामाख्या बन्दना (Kamakhya Bandana) साधना सिद्ध कर सकते है । इस कामाख्या बन्दना (Kamakhya Bandana) पाठ से ज्ञान भक्ति ब प्राप्त होती है और आत्म-शांति मिलती है । यह कामाख्या बन्दना (Kamakhya Bandana) पाठ सिद्ध महात्मा का है।

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जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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