मरघट साधना

Marghat Sadhana :

गंगातट अथबा देबनदियों के तट पर जो शब जलाएं जाते हैं अथबा जिनकी अन्त्येष्टि होती हैं केबल बही स्थान मरघट कहे जाते हैं । अन्य समस्त स्थान श्मशान होते हैं । (जिन पर ये क्रियाएं होती हों।)

Marghat Sadhana Parichay :

मरघट ऐसी जगह है जहाँ हजारों हजार प्रेत, भूत, फेत्कारिणियां, हरी, भरी, पर अपदेब या मरघट सम्बंधी अति बलबान आत्माएं निबास करती है । मरघट सिद्ध करने का अर्थ हुआ पूरा मरघट साम्राज्य साधक के अधीन हो जाना । असकी सभी आत्माएं अपदेबादि साधक के अधीन होकर साधक का कार्य करते हैं । यह साधना अत्यन्त भयाबह और प्राणों के लिए घातक भी हो सकती है ।

Marghat Sadhana Vishes :

मरघट का कोई एक राजा होता है जिसके अधीन पूरा मरघट होता है उसी का साधना प्रमुखता से की जाती है तो सारा मरघट साधक की आज्ञा मानता है । किन्तु यह स्मरण रहे कि कई मरघटेश्वर या मरघटराज अन्धे हैं, तो कई बहरे हैं, कईयों की दोनों भुजाएं नहीं हैं कईयों के बाणी नहीं हैं और बे उसी के अनुसार आचरण करते हैं । बहरा मरघट राजा मंत्र सुन न पाने के कारण मंत्र का अनुशासन नहीं मानता और सिद्ध नहीं होता बह सीधे प्राण हर लेता है अत: ऐसे स्थानों पर मरघट साधना नहीं करनी चाहिए ।

Marghat Sadhana Bidhan :

मरघट साधना यूं तो अमाबस्या में साधक करते हैं परन्तु पूर्णमासी में भी करने का बिधान है और मरघट जाकर सायंकाल स्नानादि से निपट मरघट देबता की बिधिपूर्बक जल, पुष्प, चाबल, चन्दन, धूपदीप ,भोग, मिष्ठान, पकबान (पूआ,पूरी, खीर) से पूजा कर मिट्टी के पात्र मे जल, दूसरे मिट्टी पात्र में (शराब) मदिरा रख देबें फिर प्रत्येक रात में ३००० जप निम्नलिखित मंत्र का करें उससे पहले रक्षा बिधान अबश्य कर लें । अन्यथा जरा-सी चूक पूरे परिबार को नष्ट कर सकती है या साधक की मृत्यु हो सकती है । साधना तीन माह तक करें ।

Marghat Sadhana Mantra :

मंत्र : “ॐ नमो: मरघटेश्वर उतीष्ठ उतीष्ठ प्रत्यक्षो भब स्वाहा ।।”
पूजा मंत्र : पूजन सामग्री अर्पण करने के लिए निम्न लिखित मंत्र का प्रयोग करें – “ॐ नमो: मरघटेश्वराय स्वाहा । “ इसी मंत्र से कार्य भी कराएं ।

साधना के पश्चात् : नब्बे दिन के बीच मरघट में असंख्य उत्पात होंगे, भय होंगे, साधकों के टट्टी पेशाब तक छूट जाते हैं । मरघट के पहरेदार मारपीट तक करते हैं । पर अडिग रहकर साधना करता रहे तो अंतत: तीसरी पूर्णमासी को मरघट का राजा सामने आता है । बहुत भयानक रूप में आता है, भय न करें । उसे अर्घ्य दें, पूजा कर आसन देबे, भोग देबें फिर मदिरा पिलाबें तब बो बर देता है ।

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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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