श्मशान यक्षिणी सिद्धि साधना

यक्षिणी मंत्र : “ॐ हुं ह्रीं स्फुं श्मशान बासिणी श्मशाने स्वाहा।”
 
इस मंत्र की साधना श्मशान भूमि पर की जाती है । साधक रात्रि के समय निर्बस्त्र होकर चिता के पास बैठ कर की जाती है । यह साधना अमाबस्या की रात्रि 12 बजे आरम्भ करें । नित्य निशिचत संख्या मे उपरोक्त मंत्र का जाप करें तथा चार लाख की संख्या मे जप पूर्ण करें । फिर मंत्र का दशांश हबन करें तो श्मशान यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को दिब्य रसायन प्रदान करती है । जिससे साधक अदृश्य होकर पृथ्बी पर बिचरण कर सकता है । साधना के समय अपनी सुरक्षा करके जप करें एबं यक्षिणी को नैबेद्य बली आदि के लिये मांस मदिरा का प्रबंध पहले से रखें । अन्तिम दिन दर्शन देने पर भोजन बलि अर्पण करे । यह प्रयोग बिना गुरु के न करे, नहीं तो हानि हो सकती है ।
 
नोट : इस साधना (Shamshan Yakshini) से, यक्षिणी साधको की सभी कामना पूर्ण करती है और तुरंत कार्यो को पुरे कर देती है । यह श्मशान की शक्तियों में गिनी जाती है। चमत्कारी कार्य करती है ।

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जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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