शत्रु की तत्काल मृत्यु

Shatru Ki Tatkal Mrityu :

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की रात्री को किसी उल्लू के सात पंख लेकर आएँ । उल्लू के पंखों को काले बस्त्र में बाँधकर रख दें । दो दिन के बाद पंखों को कपूर की धूनी देकर पुन: बस्त्र में बाँधकर रख दें । शनिबार की रात्री को चिता की अग्नि लाकर पंखों को जलाकर चूर्ण बना लें । इसके पश्चात चूर्ण को सिंदूर में मिलाकर ज्माग्नी मंत्र से अभीमंत्रित करके किसी पात्र में रख दें ।

रबिबार के दिन किसी ऐसे गधे का पेशाब लाएँ जिसका एक कान कटा हुआ हो, इसके पश्चात गधे के पेशाब में पंखों का चूर्ण मिलाकर गोली बना लें । दो गोली बनाएँ तथा गोली को सिंदूर से लपेटकर चाँदी के बर्क में रख लें । अमाबस्या के दिन एक गोली को ले जाकर श्मशान भूमि में एक हाथ लम्बा गडढा खोदकर गाड दें । दूसरी गोली को कपूर तथा गुग्गल की धूनी देकर काले बस्त्र में बाँध लें ।

इसके पश्चात प्रयोग के समय शनिबार की रात्री को १२ बजे श्मशान में पूजा मंत्र में १०८ बार मंत्र पाठ के साथ १०८ बार सूरा से आहुति दें श्मशान काली को और भोग में माँ को बलि चढ़ाकर कार्य (Shatru Ki Tatkal Mrityu) में सफलता प्रदान केलिए बिनती करे । इसके बाद गोली को कपडे से निकालकर शत्रु के घर के बाहर मुख्य दरबाजे पर गाड दें । सम्पूर्ण कार्य गुप्त रीति से करें । जिस दिन भी शत्रु का पैर उस स्थान पर पड़ेगा शत्रु की तत्काल मृत्यु (Shatru Ki Tatkal Mrityu) हो जाएगी ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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