बेताल मन्त्र साधना

इस प्रेत शक्ति को सुनसान वीरान जगह पसंद है। बड़े बड़े विशालकाय बरगद के पेड़ इसके निवास का स्थान होता है। ये तामसिक साधना है । अत: पंडित लोगो को दूर रहना चाहिए इस साधना से।
रात का अँधेरा दूर करने के लिए मशाल जलाये।साधना काल में मंदिरो देवी देवताओं की मूर्तियो से दूर रहे। ये साधना 41 दिनों की है। रोज रात को 12 बजे से 2100 मंत्रो का जाप व 1100 मंत्रो का हवन अनिवार्य है। 41 वें दिन हवन 2100 मंत्रो से करना होता है।
मन्त्र :“ ॐ हुनु हुनु चुनू चुनू ताल बेताल स्वाहा।”

Vetal Mantra Sadhana Samagri :

{{ चित्ता की राख , उड़द मुठीभर ,तिल , आँख डे के फूल ,लाल कपडे बिना सिले हुये ,बबूल की लकड़ियाँ ,सिंदूर तिलक क लिए , मुट्ठी भर जौ , इत्र ,बकरे की चर्बी ,कपाल ,लाल रंग की मिठाई ,मदिरा ,चावल ,मांस ,घोड़े क दांतो की माला }}
आसन लगाकर 2100 मंत्रो का जाप करे उसके बाद लेफ्ट हैण्ड में कपाल लेकर राईट हैण्ड से हवन करे बबूल की लकड़ी जलाकर बकरे की चर्बी डाले और 100 मन्त्र होने पर एक फूल तिल जौ उड़द चावल की आहुति डाले। साधना समाप्त कर 4 बजे तक अपने घर पहुच जाए। ब्रह्मचक्र गले में धारण करे। सुरक्षा रेखा भी खींच ले।
अंतिम आहुति में मदिरा मांस मिठाई हवन में डाले और शेष सामग्री ग्रहण करे प्रसाद के रूप में। साधना की जगह माँस खुला छोड़ दे। साधना काल में डरे नही ।बेताल साधक को डराने की कोसिस करता है। साधना पूरी होने पर बेताल साधक को सिद्ध हो जाता है और उसकी आज्ञा का पालन करता है।
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जय माँ कामाख्या

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