शरीर रक्षार्थ अघोरास्त्र मंत्र :

शरीर रक्षार्थ अघोरास्त्र मंत्र :

अघोरास्त्र मंत्र – “ॐ नमो भगबते पशुपतये ॐ नमो भुताधिपतये ॐ नमो रुद्राय खड़गराबण लं लं बिहर बिहर सर सर नृत्य नृत्य ब्यसनं भस्मार्चितशरीराय घंटाकपालमालाधराय ब्याघ्रचर्मपरिधाननाय शशांककृतशेखराय कृष्णसर्पयज्ञोपबीतिने चल चल बल बल अतिर्बीतकपालिने हनहन भुतान्नाशय नाशय मण्डलाय फट् फट् रुद्रांकुशेन शमय शमय प्रबेश्य प्रबेश्य आबेश्य रक्षासिधराधिपति: रुद्रो ज्ञापयति स्वाहा । ॐ भूर्भुब: स्व: हौं ॐ जूंस: त्र्यम्बकं यजामहे सुगंन्धिं पुष्टिबर्धनम् । उर्बारुकमिब बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।। ॐ जूंस: हौं भूर्भुब: स्वरोम् ।। ॐ नमो भगबते त्र्यम्बकाय शूलपाणये रुद्रायामृतमूर्तये मां जीबय चन्द्रजटीलित्रिपुरान्तकाय हं ह्रीं रुद्राय र्रूगयजु: सामरुपाय रुद्रायाग्नित्रितयाय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल मां रक्ष रक्ष अघोरास्त्राय हुं फट् स्वाहा ।।”

इस अघोरास्त्र मंत्र का पाठ करने से भय दूर होता है । इस मंत्र से बालक की नजर झाड़ने से बह शीघ्र दूर होती है । सब प्रकार से शरीर रक्षा होती है और शत्रु बर्ग भी नष्ट होते है । प्रात: मध्याह्न और सायं त्रिकाल में इस मंत्र का पाठ करना चाहिए ।

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