अघोर मारण तंत्र उपाय :

अघोर मारण तंत्र उपाय :

अघोर मारण तंत्र : इस सामर्थ के प्राप्त करने से प्राणीका प्राण नाश हो सकता  है । यह अघोर मारण तंत्र प्रयोग नाम से ही पता चल जाता है , उसके ऊपर बिशेष चर्चा करने की कोई जरुरत नही है । सीधा प्रयोग की ऊपर बात करते हैं, यह प्रयोग शत्रु नाश के लिए कारगर है । इस अघोर मारण तंत्र से शत्रु इस तरह भाग जाते हैं जैसे सांप केंचूली छोड़कर भाग जाता है । लेकिन यह प्रयोग जानलेबा भी है अत: सोच समझकर ही इस आग में कूदे । अगर शत्रु अधिक हाबी ब जानलेबा हो और जान पर संकट हो तभी इसे करे । इस प्रयोग में कुछ मंत्र की प्रयोग बिधि भी करना पड़ता है और कुछ में नही पड़ता है । यह एक दुर्लभ और गंभीर शत्रुनाशक प्रयोग है , पहली बार इसे जनहितार्थ में लाया जा रहा है । अघोर मारण तंत्र प्रयोग से शत्रु निश्चित ही परास्त होते हैं अथबा अपनी शत्रुता त्याग देते हैं ।
 
(क) अश्विनी नक्षत्र मे बारह अड्गुल के नाप की घोडे की हड्डी की कील सत्रु के ग्रुह मे डालने से शत्रु का परिबार सहित नाश हो जाता है!
मंत्र : “ ऑम सुरे सुरे स्वाह “
 
(ख) गधे की हड्डी और केअटि सांप का शिर इकठा करके जिस के द्वारे दाब दिया जाय उसकी निश्चय मृत्यु होबे !
 
(ग) शत्रु की बिषठा और बिछु यह दोनो बस्तु एक गढा खोदकर दाब दे, उसके उपर एक ढ्क्क्न दे दे !इस से सत्रुकी मृत्यु हो जायगी !
 
(घ) स्वेत अपराजिता की जड, कुरेया,नमक, बिष,खरगोश, सुअर, मोर और गोखुरा सांपका पित्त और महानीम के पत्ते इक्ठेड करके होम करे इस प्रकार सात दिन होम करने से निस्चय ही शत्रु  की मृत्यु हो जायगी !
 
इस प्रकार और भी बहुत अघोर मारण तंत्र अपाय है उन कार्योका प्रकाशित करना आजकल के दिनो मे कानुन के खिलाफ  है सिर्फ नाजरींन की खातिरदारी के लिये यह चार उपाय उपर लिखे !
 
 
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जय माँ कामाख्या

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