अजयपाल मंत्र :
ॐ अजमेरी दृढ़ अजयपाल राजा अजा देबराणी, अजा देबराणी ना सात पुत्र, कौन कौन पुत्र, हडंजय, रणेरा, तनेरा, डठेरा, एक्न्तरा, दुतीया, तृतीया, चौथिया, जजारे सात बाणी ना तर ए पिंड छोडी बीजे पिंड जाइने, पड़ी उभो रहे, तो अजैपालनी सात आन, जो उभो रहे तो जती सती नी आन, जो उभो रहे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा ।
बीजे पिण्ड का अर्थ है दूसरे शरीर का पिण्ड। यह मंत्र एकान्तरादि ज्वर में काम करता है। तथा तर्जनी अंगुली से झाड़ने पर दांत का दर्द कम होबे । अजयपाल मंत्र के लिये गांजा की चिलम रख कर साधना करे । पुआ, पकोड़ी का भोग लगाबे ।
अजयपाल अजमेर के राजा थे ख्वाजा साहब के समय में उनका राज्य था । बे बहत बड़े तांत्रिक थे।
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