यंत्र का मतलब विशेष देवीय अंक, अक्षर या चित्रों का किसी कागज, धातु, अष्टधातु के पत्र, पत्थर या सोने के पत्र पर लिखा जाना या उकेरा जाना। अप्सरा यंत्र किसी दक्ष तांत्रिक के पास उपलब्ध हो सकता है।
अप्सरा साधना किसी भी शुक्रवार की रात से शुरु की जा सकती है । सबसे पहले स्नान करें । पिताम्बरी यानि पीले वस्त्र पहनें । अप्सरा यंत्र पर गंध, पुष्प से पूजा करें । पांच घी के दीपक जलाएं। इसके बाद १०८ मनकों की अप्सरा जपमाला लेकर अप्सरा मंत्र बोलकर प्रतिदिन १०१ माला फेरें । यह साधना ८० दिन तक करना चाहिए ।
नियम संयम से साधना करने पर अप्सरा अपने पूर्ण सौंदर्य और स्वरुप में प्रगट होती है । उस समय साधक मोगरे के फूल की माला और मिठाई भेंट करे । वह उपहार में साधक को अपने परिधान भेंट करती है । उस समय साधक को चाहिए कि वह प्रार्थना करे कि जब वह चाहे अप्सरा प्रसन्न होकर प्रगट हो ।
दूसरा कुछ ध्यान देने बाले प्रमुख बात है , जो साधना की स्तर पर यह पालना अति जरुरी होता है :
पवित्रता का पालन करना और सात्विक जीवनशैली अपनाना: आप अप्सराओं को प्रसन्न कर सकते हैं अगर आप अपने व्यवहार में शुद्धता और सात्विकता बनाए रखेंगे तो ।
ध्यान और मेधा का अभ्यास जरुर करें: ध्यान और मेधा बढ़ाने वाले अभ्यास आपको अप्सराओं की कृपा मिल ने सहाय हो सकती है ।
संगीत का आनंद लें: महिलाओं को संगीत और नृत्य से बहुत प्यार होता है, इसलिए इसे अपने जीवन का एक हिस्सा बनाएं ।
योग्य व्यवहार करें: आप अप्सराओं की दृष्टि में आ सकते हैं अगर आप सभी जीवों को सम्मान और श्रद्धा से व्यवहार करेंगे तो ।
ध्यान और पूजा करना सीखें: अप्सराओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा और ध्यान की जरूरत होती है ।
दान करें: दान करने से आप अप्सराओं के आदर्श में आ सकते हैं और उनको खुश करने में एक कदम आगे बढ़ सकते हो ।
भगवान और देवताओं को पूजें: जब आप देवताओं और भगवानों का पूजन करते हैं, आप अप्सराओं के प्रति अपनी भक्ति को बढ़ा सकते हैं ।