कर्णपिशाचिनी साधना कैसे करें और उसके फायदे क्या हैं ?

Karnapishachini Sadhana Prayog :

कर्णपिशाचिनी साधना एक ऐसा तांत्रिक अभ्यास है जिसे गोपनीय और गहरे रहस्यों से जोड़ा जाता है । इस प्रयोग का उदेश्य आध्यात्मिक उन्नति, शक्ति प्राप्ति, और अद्द्भूत अनुभब की प्राप्ति होती है । यह तांत्रिक साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे बिशेष ध्यान और समझ के साथ किया जाना चाहिए ।

Karnapishachini Sadhana ka Rahashy Aur Vidhi :

कर्ण पिशाचिनी साधना एक प्रकार की तंत्र मंत्र साधना होती है जिसमे ब्यक्ति गुरु के मार्ग दर्शन में मंत्रों, यंत्रों और तंत्रों का प्रयोग करता है । इस प्रयोग की बिधि बहुत गोपनीय होता है और उसे सिखने केलिए बिशेष अभ्यास और गुरु की आज्ञा की पालन बहुत आबश्यक होती है ।
कर्णपिशाचिनी साधना किसी सिद्ध गुरु के मार्गदर्शन में ही संपन्न की जाती है । इस प्रयोग में साधक को गाय के गोबर में पीली मिट्टी मिलाकर उससे पूरा कमरा लीपना चाहिए । उस पर हल्दी-कुँमकुँम-अक्षत डालकर कुशासन बिछाए ।
भगवती कर्णपिशाचिनी का विधिवत पूजन कर रूद्राक्ष की माला से 11 दिन तक प्रतिदिन 10 हजार मंत्र का जाप करे । इस तरह 11 दिनों में कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जाती है ।
मंत्र : –{{ ओम् हंसो हंस: नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी स्वाहा।। }}
Karnapishachini Sadhana Ke Labh :
1. इस साधना से ब्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है और अद्दितीय आत्मा से जुड़ सकता है ।
2. यह साधना ब्यक्ति को अद्दितीय शक्तियों की पहचान करने में मदद कर सकती है, जिससे उनकी जीबन में सफलता हासिल करने में मदद मिल सकती है ।
3.कर्णपिशाचिनी साधना ब्यक्ति को आत्म समर्पण और मानसिक शान्ति प्राप्ति में मदद कर सकती है ।
कर्णपिशाचिनी साधना (karnapishachini sadhana) एक गंभीर और गोपनीय अभ्यास होता है और इसे बिना सही ज्ञान और मार्गदर्शन के कभी ना करे । यह साधना धार्मिक और आध्यत्मिक दिशा में किया जाता है , और इसे सजगता और नैतिक मूल्यों का सन्मान करते हुए किया जाना चाहिए ।
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जय माँ कामाख्या

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