कलह निबारक प्रयोग:

कलह निबारक प्रयोग :

कलह निबारक प्रयोग : अगर किसी घर में कलह ने अपना घर बना लिया हो और बह किसी भी प्रकार शांत न हो रहा हो, तो निम्नलिखित प्रयोग करें । शुक्ल पक्ष की सप्तमी को उल्लू को पकड़कर उसे पिंजड़े में बंद कर दें । दो दिन तक उसे दाना पानी दें । भोजन में मांस का होना आबश्यक है । एकादशी तिथि को आधी रात के समय उल्लू के पिंजड़े को लेकर किसी नदी के जल में स्वयं तो स्नान करें ही ,उल्लू के पिंजड़े के सामने उत्तर दिशा की और मुंह करके सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाये तथा निम्नलिखित कलह निबारक प्रयोग मंत्र का 11008 बार जप करें ।प्रत्येक बार मंत्रोचारण के बाद उल्लू के पिंजड़े पर एक –एक फूंक मारते जाये ।

मंत्र इस प्रकार है – “ओं नम: शिबाय , नम: शंभबाय, नम: कालकूटाय, नम: जगत्पते , नम: उलूक –राजाय , मम गृहे कलहं शान्तं कुरु कुरु ठ: ठ: स्वाहा ।”

जप पूरा हो जाने पर ,उल्लू की पूंछ से उतने पंख नोंच लें, जितनी संख्या में घर में स्त्री –पुरुष और बच्चे रहते हों ।पंख नोंचने के बाद उल्लू को उड़ा देना आबश्यक है ।इसके बाद उन पंखों को घर के प्रत्येक सदस्य की भुजा पर एक –एक पंख लाल रंग के बस्त्र में लपेटकर बाँध देना चाहिए ।इन पंखों के बांधे जाने पर रबिबार के सभी सदस्य आपस में लड़ना झगड़ना स्वयं बंद कर देंगे ।

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