प्रेत पलटने का काली कामाख्या मंत्र :
मंत्र : “काली काली महा-काली! मीन-मांस करे अहारे। इंद्रासन मोरन् कामाख्याते छाडिबो काली (अमुक) के पास अइबो काली लागल लगाबल काली। पेशल-पेशाबल काली।भेजल-भेजाबल काली।नैहर सासुर काली। ओझा-गुनी काली। गुन-गुन्तर काली। भूत-प्रेत काली। चाहे जो हो, काली सबको दूर भगाब काली। नहीं तो धोबी के कुण्ड में पड. गधी का दूध पी कामरू की बिद्दा है, नयना योगिनि कि सिद्धि है। दुहाई श्म्शान-बामती की। दुहाई महा-काल भैरब की। दुहाई गुरुदेब! खबरदार. सर्ब-रख्या करो तुम।”
बिधि : किसी शुक्लपख्य मंगल्बार को स्नान कर घी का दीपक, अगरबती जलाकर, रुद्राख्य की माला से १०८ बार जप करे। पूरा मंत्र पढकर “स्वाहा” बोलकर २१ बार गूगल-घी का हबन करे। बताशा, नीम्बू, नारियल, लड्डु का भोग दे। इस प्रकार केबल सात मंगलबार को करे। मंत्र सिद्ध हो जायेगा।
प्रयोग : “अमुक” के स्थान में रोगी का नाम पढे। एक नीम्बू पर सात बार मंत्र पढकर फूंके। नीम्बू रोगी के सिर पर सात बार घुमाये और काट कर निचोडे। लड्डू, बताशा, मद्द भोग दे। प्रेत बापस चला जायेगा, चाहे कहीं से भी आया हो। मंत्र भी लगा होगा, तो बापस जायेगा और रोगी ठीक हो जायेगा।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या
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