कुंडली में काल सर्प योग और निदान

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कुंडली में काल सर्प योग और निदान :

काल सर्प योग कुंडली में खराब जरूर माना जाता है किन्तु विधिवत तरह से यदि इसका उपाय किया जाए तो यही काल सर्प योग सिद्ध योग भी बन सकता है । आइये तो जानते हैं कि क्या होता है यह काल सर्प योग और किस प्रकार से यह व्यक्ति को प्रभावित करता है ।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतू ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो काल सर्प योग का निर्माण होता है । क्योकि कुंडली के एक घर में राहु और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों से आ रहे फल रूक जाते हैं । इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस जाते हैं और यह जातक के लिए एक समस्या बन जाती है । इस दोष के कारण फिर काम में बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंधित परेशानियाँ, उत्पन्न होने लगती हैं । घर-परिवार में भी अशांति रहती है और मानसिक तनाव बना रहता है ।
काल सर्प योग के शुभ या अशुभ दोनों तरह के प्रभाव हो सकते हैं। यह कुंडली में सभी ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है कि आपके लिए ये योग शुभ है या अशुभ । काल सर्प योग अशुभ हो तो बुरा समय आसानी से दूर नहीं हो पाता है ।

काल सर्प योग के प्रकार :

प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में 12 प्रकार के काल सर्प योग का वर्णन किया गया है-
1-अनन्त
2-कुलिक
3-वासुकि
4-शंखपाल
5-पद्म
6-महापद्म
7-तक्षक
8-कर्कोटिक
9-शंखचूड़
10-घातक
11- विषाक्तर
12-शेषनाग।
अनंत काल सर्प योग :
अगर राहु लग्न में बैठा है और केतु सप्तम में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तो कुंडली में अनंत कालसर्प दोष का निर्माण हो जाता है । अनंत कालसर्प योग के कारण जातक को जीवन भर मानसिक शांति नहीं मिलती । इस प्रकार के जातक का वैवाहिक जीवन भी परेशानियों से भरा रहता है ।
कुलिक काल सर्प योग :
अगर राहु कुंडली के दुसरे घर में, केतु अष्ठम में विराजमान है और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में है तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है । इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में धन और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ उत्पन्न होती रहती हैं ।
वासुकि काल सर्प योग :
जन्मकुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु विराजमान हो तथा बाकि ग्रह बीच में तो वासुकि कालसर्प योग का निर्माण होता है । इस प्रकार की कुंडली में बल और पराक्रम को लेकर समस्या उत्पन्न होती हैं ।
शंखपाल काल सर्प योग :
अगर राहु चौथे घर में और केतु दसवें घर में हो साथ ही साथ बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो शंखपाल कालसर्प योग का निर्माण होता है । ऐसे व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी, धन और मान-सम्मान संबंधित परेशानियाँ बनी रहती हैं ।
पद्म काल सर्प योग :
जब जन्मकुंडली के पांचवें भाव में राहु, ग्याहरहवें भाव में केतु और बीच में अन्य ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है । ऐसे इंसान को शादी और धन संबंधित दिक्कतें परेशान करती हैं ।
महा पद्म काल सर्प योग :
अगर राहु किसी के छठे घर में और केतु बारहवें घर में विराजमान हो तथा बाकी ग्रह मध्य में तो तब महा पद्म कालसर्प योग का जन्म होता है । इस प्रकार के जातक के पास विदेश यात्रा और धन संबंधित सुख नहीं प्राप्त हो पाता है ।
तक्षक काल सर्प योग :
जब जन्मकुंडली के सातवें भाव में राहु और केतु लग्न में हो तो इनसे तक्षक कालसर्प योग बनता है । यह योग शादी में विलंब व वैवाहिक सुख में बाधा उत्पन्न करता है ।
कर्कोटक काल सर्प योग :
अगर राहु आठवें घर में और केतु दुसरे घर आ जाता है और बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो कर्कोटक कालसर्प योग कुंडली में बन जाता है । ऐसी कुंडली वाले इंसान का धन स्थिर नहीं रहता है और गलत कार्यों में धन खर्च होता है ।
शंखनाद काल सर्प योग :
जब जन्मकुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य हों तो इनसे बनने वाले योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते है । यह दोष भाग्य में रूकावट, पराक्रम में रूकावट और बल को कम कर देता है ।
पातक काल सर्प योग :
इस स्थिति के लिए राहु दसंम में हो, केतु चौथे घर में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तब पातक कालसर्प योग का निर्माण होता है । ऐसा राहु काम में बाधा व सुख में भी कमी करने वाला बन जाता है ।
विषाक्तर काल सर्प योग :
जब जन्मकुंडली के ग्याहरहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को विषाक्तर कालसर्प योग कहते है । इस प्रकार की कुंडली में शादी, विद्या और वैवाहिक जीवन में परेशानियां बन जाती हैं ।
शेषनाग काल सर्प योग :
अगर राहु बारहवें घर में, केतु छठे में और बाकी ग्रह इनके बीच में हो तो शेषनाग कालसर्प योग का निर्माण होता है । ऐसा राहु स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें, और कोर्ट कचहरी जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है ।
काल सर्प योग दूर करने के उपाय :
• शिव भगवान का रुद्राभिषेक ।
• नागपंचमी का व्रत करें ।
• मोर का पंख सदा अपने निवास स्थान पर रखें ।
• कुल देवता की उपासना करें ।
• प्रतिदिन महा मृत्युंजय मन्त्र का जाप करें ।
• हनुमान चालीसा का प्रतिदिन 108 बार जप करें ।
• मंगलवार एवं शनिवार को रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ श्रध्दापूर्वक करें ।
• शिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठें और नहाने के बाद किसी शिव मंदिर में शिवलिंग पर तांबे का छोटा सा नाग चढ़ाएं ।
• बाजार से किसी भी सोने-चांदी के व्यापारी से चांदी के नाग-नागीन का छोटा सा जोड़ा खरीदें और इस जोड़े को नदी में बहा दें। साथ ही, शिवजी से कालसर्प दोष और बुरा समय दूर करने की प्रार्थना करें ।
• शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और शिवमंत्र का जाप करें ।
• किसी गरीब व्यक्ति को काला कंबल, काली उड़द का दान करें ।
• शिवरात्रि पर शिवजी की पूजा करें और इसके बाद आने वाले शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। काला कुत्ता न मिले तो किसी दूसरे कुत्ते को भी रोटी खिला सकते हैं ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641 /9937207157 {Call / Whatsapp}

Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

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