छींक बिचार :
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March 4, 2023
कर्णपिशाचिनी यक्षिणी साधना :
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कुते का शकुन :

कुते का शकुन :

यात्रा के समय यदि कुत्ता मनुष्य, घोडा, हाथी, घडा, दुधारा बृक्षों, ईंटो का ढेर, छत्र, सेज, आसन, उल्लू, खल, ध्वज, चामर अन्न का खेत फुलबारी बाले स्थान पर मूत्रत्याग करे अथबा आगे जाए तो कार्य की सिद्धि होती है ।

यदि कुत्ता गीले गोबर पर मूत्र का त्याग करके चला जाए तो यात्री को मीठा भोजन प्राप्त होता है । यदि सूखी बस्तु पर मूत्र त्याग कर चला जाए तो लड्डू अथबा गुड खाने को मिलता है ।

यदि कुत्ता काँटेदार बृक्ष, पत्थर, काष्ठ तथा श्मशान पर मूत्रत्याग कर लौटकर यात्री के आगे चले तो यात्री का अनिष्ट होता है ।

यदि कुत्ता बस्त्र लेकर आबे तो शुभ समझना चाहिए ।

यदि यात्रा के समय कुत्ता यात्री के पांब चाटे, कान फडफडाये अथबा उस पर दौड़े तो यात्रा करने बाले को बिघ्नों का सामना करना पड़ता है ।

यात्रा के समय यदि कुत्ता अपने शरीर को खुजलाता हुआ दिखाई दे तो यात्री को समझ लेना चाहिए कि कुत्ता यात्रा का बिरोध कर रहा है । ऐसी स्थिति में यात्रा करना हानिकारक सिद्ध होता है ।

यदि यात्रा के समय कुत्ता ऊपर की और पांब करके सोता हुआ दिखाई दे तो यात्रा नहीं करनी चाहिए । ऐसी यात्रा दोषपूर्ण होती है ।

यदि किसी गांब के बीच में सूर्योदय के समय सूर्य की और मुँह करके एक अथबा अधिक कुत्ते इकट्ठे होकर रोएँ तो उस गांब के प्रधान ब्यक्ति पर संकट आता है । या तो बह अपदस्थ हो जाता है अथबा उसकी मृत्यु हो जाती है ।

यदि यात्रा करते समय कुत्ते परस्पर लड़ते हुए दिखाई दें तो यात्राकारी की यात्रा में बिघ्न अपस्थित होते हैं । यदि कुत्ते रोते हुए दिखाई दें तो अनिष्ट होता है । ऐसी स्थिति में यात्रा नहीं करनी चाहिए ।

तंत्राचार्य प्रदीप कुमार – 9438741641 (Call /Whatsapp)

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