केतु ग्रह :
केतु ग्रह को छाया ग्रह माना जाता है । यह एक राशि में 18 महीने यानी डेढ साल रहता है । यह धनु राशि में उच्च का और मिथुन राशि में नीच का माना जाता है केतु में तमोगुण पाया जाता है तथा इसका वर्ण शूद्र है । केतु की प्रबृति भी राहू की तरह ही होती है जो जीबन में अचानक परिबर्तन कर देती है । केतु सदा बक्री होता है ।
केतु अच्छा हो तो क्या –
कुंडली में केतु अच्छा हो तो उच्च पद दिलाता ही है अच्छे बाहन का भी सुख देता है । केतु रातों –रात लखपति बनाने की ताकत रखता है । अच्छा केतु फर्श से अर्श पर पहुंचा देता है ।
केतु खराब हो तो क्या – कुंडली में केतु खराब हो तो कई तरह की चिंताएं और बीमारी देता है । केतु मौत का भी कारण बनता है ।
खराब केतु को कैसे ठीक करें –
कुंडली में यदि केतु खराब हो तो शनिबार के दिन काले कुत्ते को अपनी जूठी रोटी खिलाना चाहिए । इसके अलाबा अमाबस्या के दिन ग़रीबों को काले कंबल का दान करें ।
केतु का जाप –
केतु के लिए 17000 जाप कराया जाता है । पर कलियुग में इसे चार गुना यानी 68000 जाप कराएं तभी समुचित फल मिलता है ।
केतु का मंत्र (शास्त्रोक्त मंत्र) – “ॐ कैतबे नम:”
तंत्रोक्त या बीज मंत्र – “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतबे नम:”
केतु की महादशा – केतु की महादशा 7 साल चलती है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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