कैंसर :
कैंसर :यह शरीर के किसी भी भाग में होने बाला असाध्य रोग है । प्राय: पुरूषों में मुख का तथा स्त्रियों में गर्भाशय का कैंसर सर्बाधिक पाया जाता है । शरीर के अन्दर किसी भी भाग में अबांछित ग्रंथि निकल आती है ,जो कभी –कभी रोग की ब्यग्राबस्था में फूट कर बाहर भी निकल सकती है । इस रोग में मुख के अन्दर इस प्रकार के घाब हो जाते है जो कभी ठीक नहीं होते । इसके अतिरिक्त अपच, बमन, आबाज में परिबर्तन आना, भोजन निगलने में कठिनाई आदि लक्षण स्पष्ट होते है । इस रोग के होने के कारण अधिक स्पष्ट तथा ज्ञात नहीं है ।
कैंसर के ज्योतिषीय सिद्धांत :
कैसर के जीबाणु को जन्म देने के लिए कुच्छ ग्रह योग माने गये हैं, जैसे – चंद्रमा किसी भी राशि का हो और छठे, आठ्बे या बारहबें भाब में हो और उस पर तीन पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो यह निशिचत ही कैंसर रोग का सूचक है । शनि और बृहस्पति अगर कर्क या मकर राशि में हो तब भी कैंसर होने की आशंका रहती है । शनि ,केतु और बृहस्पति पर यदि नीच चन्द्रमा या नीच राशि के मंगल की पूर्ण दृष्टि , बृहस्पति, केतु और शुक्र का किसी भी राशि में योग, चन्द्रमा, केतु और शनि तथा चंद्रमा, केतु एबं मंगल अथबा चंद्रमा अथबा राहु और शनि कहीं भी एक साथ बैठे हों तो कैसर होने का योग बनता है । छठे भाब में स्थिर राशि का मंगल , इसी भाब में द्विस्ब्भाब राशि का शनि भी कैंसर के कारक माने जाते हैं ।
मध्यमा उंगली में स्वर्ण अथबा तांबे की अंगूठी में माणिक्य या अनामिका में नीलम धारण करना चाहिए । कैसर के ऑपरेशन के बाद ४ से ७ रती का पुखराज और ८ रती का मूँगा धारण करने से फायदा होता है ।
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