गणेश चेटक मंत्र साधना :
“गणेश चेटक मंत्र साधना “ का उद्देश्य होता है भगबान गणेश की कृपा और आशीर्बाद प्राप्त करना , संजीबनी शक्तियों को जाग्रत करना और समस्याओ को दूर करना । यह मंत्र गणेश भगबान की प्रार्थना ,ध्यान और आरधना के साथ जाप किया जाता है । इस साधना का उद्देश्य ब्यक्ति को आत्मा साक्षर और समय के साथ आत्म -परिपूर्ण बनाना होता है ।
मंत्र : “ॐ नमो हस्ति मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट महानते क्रं क्रीं ह्रीं बाचा उच्छिष्ट स्वाहा।।”
बिधि : नीम की लकडी लेकर एक अंगुली के बराबर की श्री गणेश जी की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा धूप, दीप आदि से करें, फिर इस मूर्ति के सामने बैठकर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर अमाबस तक प्रतिदिन ११०० बार मंत्र का जप करके और अन्तिम दिन मंत्र से पांच प्रकार के मेबों के साथ हबन करें, तो गणेश जी बहुत प्रसन्न होकर साधक को मुंह मांगी बस्तु प्रदान करते हैं।
इस मंत्र के द्वारा ही स्त्री को बश मे करने की बिधि यह है – जिस स्त्री को बश में करना हो पहले उसकी मूर्ति बना लो फिर उपरोक्त गणेश जी की मूर्ति उस स्त्री की मूर्ति के ऊपर रख दें और ऊपर बताये मंत्र का स्त्री के नाम सहित प्रतिदिन ११०० बार जप करें तो स्त्री आपके पास चलकर आयेगी।
नोट : जब तक गणेश जी की मूर्ति उस मूर्ति के ऊपर रहेगी तब तक स्त्री आपके पास रहेगी, जब मूर्ति उठा देगें तब स्त्री फौरन चली जायेगी।
गणेश जी की मूर्ति को बाद में किसी नदी के किनारे ले जाकर स्नान कराएं। जिस पानी से स्नान करबाया है उसे भी सुरक्षित रख लें। इस पानी मे से थोडा सा भी पानी जिसे पिला दिया जायेगा बही बश में हो जायेगी। यदि इस मूर्ति को चांदी में मढबा कर अपने पास रखें तो शत्रु का नाश होगा।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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