गर्भावस्था संबंधित तंत्र :
“गर्भावस्था संबंधित तंत्र ” साधारण रूप से गर्भावस्था के दौरान होने वाली शारीरिक और मानसिक पीड़ा को कम करने के तरीकों को संकेत करता है । यह आमतौर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, दाईयों, या गर्भावस्था सम्बंधित चिकित्सा व्यवसायियों द्वारा उपयोग किया जाता है ।
कृपया ध्यान दें कि यहां प्रदान की जाने वाली गर्भावस्था संबंधित तंत्र जानकारी केवल सामान्य और सूचनात्मक प्रयोग के लिए है और न केवल उपचारिक उपायों के लिए या दैनिक चिकित्सा सलाह के रूप में आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के लिए है । हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक बदलाव, दवाओं के सेवन आदि के विषय में किसी भी स्वास्थ्य संबंधी परेमितियों के लिए हमेशा एक चिकित्साक की परामर्श लेना उचित होगा ।
1) कुंवारी कन्या के हाथ के कते हुए सूत को गर्भबती स्त्री के सिर से पांब तक नाप कर, उसके बराबर के 21 धागे लेकर, उनमे काले धतूरे की जड़ के टुकुडे अलग अलग बाँधे । फिर उन सभी को इकटठा करके गर्भबती स्त्री की कमर में बाँध दें । इस गर्भावस्था संबंधित तंत्र प्रयोग से गर्भस्राब नहीं होता अर्थात गर्भबती स्त्री का गर्भ नही गिरता ।
2) खरैट की जड़ को कुंवारी कन्या के हाथ के काते हुए सूत में लपेट कर गर्भबती स्त्री की कमर में बांधे देने से गिरता हुआ गर्भ रूक जाता हैं ।
3) कुम्हार के हाथ की लगी मिट्टी, जो चाक के ऊपरी हिस्से की हो, को बकरी के दूध में मिलाकर गर्भबती स्त्री को पिला देने से उसका गिरता हुआ गर्भ रूक जाता है ।
तंत्र साधना कोई निकृष्ट कर्म नहीं, बल्कि चरम रूप है आराधना ,उपासना का । तंत्र के बारे में जानकारियों के अभाब ने ही आज हमसे छीन ली है देबाराधना की यह सबसे प्रभाबशाली पद्धति । यदि साधक में भरपूर आत्मबिश्वास और निश्चय में दृढ़ता है तो बह श्रद्धापूर्बक साधना करके आसानी से अलोकिक शक्तियों और आराध्यदेब की बिशिष्ट कृपाओं को प्राप्त कर सकता है । सिद्ध साधक बनने के लिए आबश्यकता है साधना के पूर्ण बिधि – बिधान और मंत्रो के ज्ञान । साधना और सिद्धि प्राप्त केलिए आज ही सम्पर्क करे और पाए हर समस्या का समाधान – 9438741641 (Call/ Whatsapp)