चिंचीपिशाचनी भविष्य दर्शन साधना क्या है ?

सामग्री : नीलबर्ण भोजपत्र, गोरोचन, केसर, दूध
मंत्र : ॐ क्रीं चिंचीपिशाचनी स्वाहा।।
 
Chinchipishachini Vidhan :
गोरोचन, केसर और दूध इन सबको मिलाकर भोजपत्र पर अष्ट-दल की रचना करें, प्रत्येक दल पर मायाबीज (ह्रीं) लिखें । इसे अपने सिर पर धारण कर लें और मंत्र का यथासम्भब जाप करें । रोजना २-३ घंटे इसका जाप लगातार ७ दिन करने के बाद यखिणी स्वयं प्रकट होकर आपको भूत भबिष्य का बर्णन करती है ।
 
इसमें मंत्र की संख्या निशिचत् नहीं होती है, इसलिए साधक अपनी श्रधा से जितना अधिक चाहे जप कर सकता है, जितना गहन जाप होगा प्रभाब उतना ही शीघ्र होगा । सम्पुर्ण बिधि की जानकारी गुरू से प्राप्त करके आगे बढ सकते हो , बिना गुरु से आगे बढना खतरा को आमंत्रण करना ।

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जय माँ कामाख्या

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