कुंडली में चिरंजीवी योग :
चिरंजीवी योग :- कुण्डली में “चिरंजीबी योग “एक महत्वपूर्ण ज्योतिष योग होता है जो ब्यक्ति की आयु को बढाने का दाबा करता है । यह एक बिशेष योग है जो किसी की कुण्डली में पाया जा सकता है और ज्योतिषी इसे ग्रह की स्थिति के आधार पर जांचते है ।
चिरंजीबी योग के द्वारा कहा जाता है की ब्यक्ति की आयु लम्बी होती है और बह दीर्घायु होता है ।इस चिरंजीबी योग के प्रमुख लक्ष्ण ब्यक्ति की कुण्डली में किसी शुभ ग्रह की दृष्टि होती है और यह ग्रह ब्यक्ति की आयु को बढाने में सहायक होता है ।यह महत्वपूर्ण है की कुण्डली में चिरंजीबी योग का निरिक्षण एक बिशेष ज्योतिषी द्वारा किया जाया , और इस पर बिश्वास करने से पहले ब्यक्ति को सठिक जानकारी और सलाह प्राप्त करनी चाहिए ।
चिरंजीवी महापुरुष :
अश्वत्थामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, लंका के राजा विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम यह सात महापुरुष चिरंजीवी है।
सिंह लगन का गुरु शुक्र कर्क चन्द्रमा दूसरे स्थान में कन्या राशि का हो और पापग्रह तीसरे छठे और ग्यारहवें भाव में हो चिरंजीवी योग होता है।
लगन में शनि हो सूर्य और मंगल बारहवें भाव हो बचे हुये सभी ग्रह आठवें स्थान में हो तो व्यक्ति चिरंजीवी होता है।
मेष लगन में कर्क का सूर्य चौथे स्थान में,शनि मीन राशि का बारहवें स्थान में मंगल सातवें और पूर्ण बली चन्द्रमा यदि बारहवें स्थान में हो तो व्यक्ति चिरंजीवी होता है।
वृष लगन में चन्द्रमा बुध शुक्र एवं गुरु के साथ लगन में हो और बचे हुये सभी ग्रह द्वितीय भाव में हो तो जातक इन्द्र के समान चिरंजीवी होता है।
यदि स्वग्रही गुरु लगन मे या दसवें हो शुक्र मिथुन का केंद्न में हो और ऐसा व्यक्ति लम्बी आयु वाला चिरंजीवी होता है।
यदि सभी ग्रह एक ही राशि मे बैठ कर केन्द्र या त्रिकोण में होते है तो बालक पैदा होते ही मर जाता है लेकिन मंत्र या औषिधि से बच जाता है तो वह चिरंजीवी हो जाता है।
यदि पंचम और नवंम में कोई पापग्रह नही हो तथा केन्द्र में कोई भी सौम्य ग्रह न हो तथा अष्टम स्थान में भी कोई पापग्रह न हो तो जातक चिरंजीवी होता है।
यदि वृष लगन में शुक्र और गुरु केन्द्र मे हो और अन्य सारे ग्रह तीसरे छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव मे हो तो ऐसा जातक चिरंजीवी होता है।
कर्क लगन में चन्द्रमा वृष राशि में,शनि तुला राशि में गुरु मकर राशि तो जातक चिरंजीवी योग में जन्म लेकर चिरंजीवी होता है।
कर्क लगन में कर्क का नवमांश हो गुरु केन्द्र में मंगल मकर में शुक्र सिंह नवमांश में हो तो जातक चिरंजीवी होता है।
कन्या लगन मे कन्या का नवमांश बुध सातवें गुरु केन्द्र में शनि शुरु के अंश में हो तो जातक चिरंजीवी होता है।
शुक्र बारहवां मंगल केन्द्र में गुरु सिंह के नवमांश में होकर केन्द्र में हो तो जातक चिरंजीवी होता है।
बुध उत्तम अंश में होकर केन्द्र में हो शुक्र आखिरी अंशों में हो गुरु का राशि परिवर्तन हो तो जातक चिरंजीवी योग में जन्म लेता है ।
कर्क लगन हो धनु का नवमांश हो तथा गुरु लगनस्थ हो नवमांश में तीन या चार ग्रह उच्च के हों तो जातक चिरंजीवी योग में जन्म होता है।
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