चुडैल का झाड़ा हेतु मंत्र :

चुडैल का झाड़ा हेतु मंत्र :

ॐ पूरब पशिचम उत्तर दक्षिण , चारी का स्वर्ग पाताल ।
आँगन द्वार घर मंझार ,खाट बिछौना गडई सोबनार ,सागलन
औ जेबनार ।बिरासों धाबै फुलैल , लबंग सोपरीजे मुंह तेल ।
अबटन –अबटन औ अबनहान । पहिरण –लंहगा सारी जान ।
डोरा चोलिया चादर झीन, मोट रुई ओढन झीन ।
शंकर गौरा क्षेत्रपाल । पहिले झारो बारम्बार, काजल तिलक
लिलार । आखि नाक कान कपार । मुंह चोटी कंठ अबकंश ,
कांध बांह हाथ गोड । अंगुरी नख धुकधुकी अस्थल ।
नाभी पेटी के नीचे जोनि चरणी। कत भेटी पीठ करि दाब ।
जांघ पेडूरी छूठी पाबतर ऊसर अंगूरा चाम ।रक्त मांस डांड
गुदी धातु । जो नहीं छडू अन्तरी कोठरी , कंरेज पित ही पित ।
जिय प्राण सब बीत। बात अंकमने जागु बड़े ,
नरसिंह की आनु कबहुं न लाग फांस ।पितर रांग कांच ,
लोहरूप सोन साच पाट पट बशन । रोग जोग कारण,
दीशन डीठी मुठी टोना । थापक , नाबनाथ चौरासी
सिद्ध के सराप । डाइन –योगिन चुरइल भूत ब्याधि ,
परि अरि जेतुन मनै गोरख नैन । साथ प्रगटरे बिलाऊ,
काली औ भेइरब की हांक । फुरो मंत्र ईश्वर बाचा ।।

बिधि : इस चुडैल का झाड़ा मंत्र को शुभ मुहूर्त में सिद्ध करने के पश्चात किसी एकांत में रोगिणी को निबस्त्र करके नमक तथा पानी के साथ उपरोक्त चुडैल का झाड़ा मंत्र से झाड़ा करें ।

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