पिशाच साधना के तरीके और विधियाँ

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Pishaach Sadhana Ke Tarike Aur Vidhiyaan :

पिशाच साधना पिशाच के निबास स्थान पर जाकर की जाती है । पिशाच बहुत तमोगुणी और मांस मदिरा प्रेमी होते हैं । सूखे, रूखे बन पर्बत, मरूस्थल आदि के पापी प्राणी भी पिशाच योनियों में चले जाते हैं ।

Pishaach Niwas Sthal :

तपते रेगिस्तान, पुराने खंडहर, जल, नदियां, जनहीन निर्जन बिशाल मैदान, पुराने भबन, बबूल, करील, सेड, नागफनी तथा गुलाब के पेड पिशाच के निबास स्थल कहे गए है । कोई भी कैकटस पिशाच के साए से मुक्त नहीं रह सकता। मूलत: पिशाचों का पौधा ही एकबार उस तक जाता है ।

Pishaach Sadhana Ka Upyog :

पिशाच सिद्ध हो जाने पर मित्र की भांति सब प्रकार से साथ देता है किन्तु पिशाच बडे दम्भी और आत्माभिमानी भी होते हैं यदि अनको नियमित रूप से भोजन, मद्द्य, मांस,धूप देते रहा जाए तो असम्भब कार्यों को भी सहजता से हल कर देते हैं । पर पिशाच रूठ जाए तो सारी सम्पदा नष्ट करके जीबन और परिबार को तहस नहस कर देता है ।

Kuchh Pishaach Sadhak :

एक समय था जब जंगलबासी औघड साधु शायद ही कोई रहता रहा हो जिसके साथ सेबा के लिए पिशाच न रहते रहे हों । ये पिशाच उनके हरकारे की तरह हर काम कर लाते थे । इसके अलाबा काली साधक, श्मशान साधक भी पिशाचों को साथ रखते थे । ये बहुत थोडी सेबा में खुश रहने बाले सूक्ष्म रूप में होते थे ।

Pishaach Sadhana Vidhi :

पिशाच सिद्ध होने पर तो दे देता है बचन का पक्का और आदेशपालक होता है, काम करके ही आता है । परन्तु होता बहुत हठी है। जल्दी से साधक के बश में नहीं आता, बहुत बार सेबा लेकर उतने दिन तक बही सेबा स्वयं भी कराकर पिंड छुडा लेता है । उसे किसी के बश में रहना प्रिय नहीं होता । किन्तु यदि साधक भी हठी हो और तक नित्य पिशाच के स्थान पर जाकर उसकी चार समय सेबा करता ही रहे तो पिशाच स्वयं प्रसन्न होकर कह देता है कि जा अब तेरा साथ दूंगा । पिशाच को पतल में दाल भात, मिट्टी के बर्तन में पानी और दूसरे बरतन में मदिरा, स्नान के लिए जल, फूल,इत्र का बाना, मिठाई, धूप, अगरबती यह सब कुछ प्रात: सायं दोपहर तथा आधी रात में देने से बह प्रसन्न हो जाता है ।

Pishaach Sadhana Mantra :

साधना मंत्र : “ॐ नमो पिशाचेश्वर पिशाच संगं देहिमाय, मम पूजां त्वां ग्रहण पिशाचं देहि नमो नम: ।।”

Pishaach Sadhana Vidhan :

शाम की संध्या सूर्य के लाल होने पर प्रारम्भ करें। इस मंत्र का चारों संध्या में पांच –पांच माला लकडी की माला से जप करे (लकडी बबूल की)

After Pishaach Sadhana :

साधना ६ माह की है। अमाबस्या से ७ बीं अमाबस्या तक सम्भब है, बीच में बर दे दे । तब आबश्यकता पडने पर यह मंत्र जपे- “ॐ नमो पिशाचेश्वर पिशाचं ममसमीप्ये प्रेषय –प्रेषय नमो नम:” । हर अमाबस्या को दाल-भात, मदिरा देते रहें ।

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Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

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