प्रेत साधना कैसे करें आसानी से

Pret Sadhana Kaise Karein Aasani Se :

प्रेत साधना कई प्रकार की होती है । यहाँ दो प्रकार की साधना का बर्णन किया जा रहा है ।

Pret Sadhana Ki Pahli Vidhi :

प्रेतों सम्बन्धित आबश्यक बर्णन में शब (मुर्दे) पर की जाने बाली साधना तथा निर्जन में प्रेतस्थल पर की जाने बाली साधना ।

Pret Sadhana Parichay :

प्रेत बडे उपयोगी सहायक हैं। बे हाल ही में मनुष्य शरीर से निकली बे आत्मायें हैं जिनकी सद्गति या पुनर्जन्म नहीं हुआ है । यदि उनकी प्रेम से सेबा करे तो बे भी बहुत सहायता करते हैं । कई प्रेत साधकों के प्रेतों ने उन्हें करोडपति बनाया हैं किन्तु प्रेत साधना होती थोडी कठिन है ।

Pret Sthan :

प्रेत सूखे वृक्षों, सूने स्थानों, प्राचीन खंडहरों, मूर्तिहीन देब मन्दिरों, नदी तटों, शमशानों से थोडा दूर, सूने घरों, तीर्थो से थोडी दूरी पर पर्बतों और रेगिस्तानों में रहते हैं । कुछ प्रेत कब्रिस्तानों, रास्तों के किनारे पीपल वृक्षों, बबूल वृक्षों, शीशम वृक्षों और सूखे कुओं तथा तालाब के किनारे पर रहते हैं ।

Pret Sadhana Ka Phal :

प्रेत सिद्ध होने पर हर तरह से सहायता करता है किंतु उसे हर अमाबस्या ब पूर्णमासी को साधन के बाद भी दाल-भात, मदिरा देनी पडती है । मरने पर साधक को उतने सौ बर्षों तक प्रेतलोक में प्रेतयोनि में रहना पडता है जितने समय तक प्रेतसाधन और प्रेतसेबा की जाती है । यही फल सभी प्रकार की साधनाओं का होता है । बे चाहे यक्ष, बेताल, कूष्माण्ड, गन्धर्ब या देब साधनाएं ही क्यों न हों ।

Pret Sadhana Bidhan :

प्रेत साधना का प्रथम प्रकार यह है कि अमाबस्या को हाल में मरे ब्यक्ति की लाश (शब) पर रात में बैठे उसे दारू पिलायें तथा श्मश्मनेश्वर की पूजा कर शब मंत्र का पूरी रात जप करे तो शब उठकर बोलता है । भय न करे, बर मांग ले । कई बार कई अमाबस्या तक करना पडता है । क्रिया श्मशान में ही होती है। शब हर बार नया होगा ।

Pret Sadhana Ki Dusri Vidhi :

निर्जन स्थान खंडहर आदि में प्रेतराज तथा प्रेत की पूजा करके रात में करे । र्ध्रर्य रखे, प्रेत प्रकट होकर बर देता है । उसे मित्र बनाले तो सदा साथ देता है ।

शब मंत्र : “ॐ नमो श्मशानेश्वर प्रेतमेकं साधय नमो नम: ।।”

प्रेत स्थान पर साधना मंत्र : ॐ नमो प्रेतराज मामेकं प्रेतं संमं कुरू ते नमो नम: ।।”

After Pret Sadhana :

साधना के प्रश्चात् प्रति अमाबस्या को प्रेत को दाल-भात, मदिरा देता रहे। यही नहीं धूप दीप (तेल का) देबे । हर बार काम लेने पर उसे रात में भोजन देना आबश्यक होता है अन्यथा बह रूष्ट होकर उल्टा करने लगता है । प्रेत भी मनुष्य की भांति अशरीर जीब है । सिद्ध होने से पहले डराता है, परीक्षा लेता है पर जब मित्र बना लेता है तो बहुत जमकर साथ निभाता है ।

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