मलेरिया तथा पारी ज्वर नाशक तंत्र :

मलेरिया तथा पारी ज्वर नाशक तंत्र :

ज्वर नाशक तंत्र :

(1) ज्वर नाशक तंत्र :शनिबार के दिन मयूर शिखा (मोरपंखी) के पौधे के न्यौत आये तथा रबिबार के दिन प्रात: काल उसे उखाड़ ला कर, लाल डोरे में लपेट कर रोगी के हाथ तथा कमर में बाँध देने से इकतरा (एक दिन छोड़कर आने बाला) ज्वर दूर हो जाता है ।

(2) ज्वर नाशक तंत्र : रबिबार अथबा मंगलबार के दिन मलेरिया ज्वर का रोगी स्वयं किसी ताड़ बृक्ष से अपनी छाती को सटाकर इस प्रकार कहे – “जब मेरा ज्वर दूर हो जायगा , तब कह कर घर लौटे आये । तत्पश्चात जब ज्वर दूर हो जाय, तब एक लकड़ी में दो मछलियां बाँध कर अगले रबिबार अथबा मंगलबार के दिन उन्हें उसी ताड़ बृक्ष की जड़ में रख आये । इससे मलेरिया ज्वर दूर हो जाता है।

(3) उल्लू का पंख तथा स्याह गूगल – इन दोनों को कपडे में लपेट कर बत्ती बनायें । फिर उसे शुद्ध घी के दीपक में डालकर ज्लायें और काजल पारें । इस ज्वर नाशक तंत्र काजल को आंखों में आंजने से चौथया तथा अन्य अनेक प्रकार के ज्वर दूर हो जाते हैं ।

(4) शनिबार के दिन, जिस जगह मछली पक रही हो, वँहा पहुँचकर, अपने सम्पूर्ण शरीर को कपडे से ढापकर, पकती हुई मछली की भाप (बफारा) लेने से पारी के ज्वर का रोगी शीघ्र स्वस्थ हो जाता है ।

(5) मंगलबार के दिन एक छिपकली की पूंछ काटकर, उसे काले कपडे में लपेट कर रोगी –ब्यक्ति की भुजा में बाँध देने से मलेरिया तथा पारी का ज्वर दूर हो जाते हैं ।

(6) रबिबार के दिन किसी गिरगिट की पूछ काटकर उसे रोगी की भुजा अथबा चोटी में बाँध देने से चौथया ज्वर शीघ्र दूर हो जाता है ।

(7) मंगलबार अथबा रबिबार के दिन रोगी के सम्पूर्ण शरीर से पाठा मछली का स्पर्श कराके, उसे किसी चौराहे पर फेंक देने से पारी का ज्वर शीघ्र दूर हो जाता है ।

(8) शनिबार के दिन संध्या समय छोटी दुद्धी के पौधे की जड़ में थोड़े से हल्दी द्वारा रंगे हुए पीले चाबलों को रखकर उसे न्यौत आये तथा दुसरे दिन अर्थात रबिबार को सूर्योदय से पहले हो, फिर उसी जगह जाकर, नंगा होकर, पहले उस पौधे को गूगल की धूनी दें, तत्पश्चात उसकी जड को उखाड़ कर घर ले आये । उस जड को रोगी पुरुष की दाई भुजा में तथा रोगी – स्त्री की बाईं भुजा में बाँध देने से तिजारी ज्वर दूर हो जाता है ।

(9) रोगी के सिर से पाँब तक की लम्बाई का एक लाल डोरा लेकर, उसमें, ‘नील’ के पौधे की जड़ को लपेट लें । फिर उस डोरे को तिजारी ज्वर बाले रोगी की कमर अथबा कान में बाँध दे तो इस ज्वर नाशक तंत्र से पारी का ज्वर आना बन्द हो जाएगा ।

(10) भांगरे की जड़ को सूत में लपेट कर रोगी के सिर में बाँधने के से चौथया ज्वर आना बन्द हो जाता है ।

(11) सर्प की केंचुल को रोगी की कमर में बाँध देने से तिजारी ज्वर की पारी आना बन्द हो जाता है ।

(12) शनिबार के दिन किसी सूखे हुए ताड़ बृक्ष की जड की मिट्टी लगाकर दुसरे दिन प्रात: काल अथबा संध्या समय उसे चंदन की भातिं घिसकर मस्तक में लगाने से तीब्र इकतरा ज्वर भी दूर हो जाता है ।

(13) रबिबार के दिन सफ़ेद धतूरे की जड़ को उखाड़ कर, उसे पुरुष रोगी की दाई तथा स्त्री – रोगी की बाई भुजा में बाँध देने से पारी का ज्वर एक ही दिन में दूर हो जाता है ।

(14) कुत्ते के मूत्र में मिट्टी की गोली बनाकर धूप में सुखा लें । फिर उस गोली को रोगी के गले में बाँध दें । इससे पारी का ज्वर दूर हो जाता है । फिर नहीं आता है ।

(15) रबिबार के दिन प्रात: काल निर्गुण्डी तथा सहदेई की जड़ को उखाड़ कर ले आयें । फिर उन्हें रोगी की कमर में बाँध दें । इससे हर प्रकार का पारी का ज्वर दूर हो जाता है । अन्य ज्वरों पर भी यह ज्वर नाशक तंत्र लाभकारी है ।

(16) रबिबार के दिन संध्या समय मिट्टी के घड़े में पानी भर कर, उसमें एक सोने की अंगूठी डाल दें । एक घंटे बाद मलेरिया अथबा पारी के ज्वर के रोगी को किसी चौराहे पर ले जाकर पुर्बोक्त घड़े के पानी से स्नान करायें । जब रोगी स्नान कर चुके तब अंगूठी को घड़े से बाहर निकाल ले । इस ज्वर नाशक तंत्र से पारी का ज्वर शीघ्र दूर हो जाता है ।

(17) रबिबार के दिन आक की जड़ को उखाड़ लाकर रोगी के कान में बाँध देने से सब प्रकार के ज्वर दूर होते हैं ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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