पंचान्गुली मंत्र प्रयोग

Panchaanguli Mantra Prayog :

पंचान्गुली देबी का स्थान अपने हस्त में माना गया है, अत: इसकी उपासना हस्त नक्षत्र से ही आरंभ करनी चाहिये । कार्तिक मास के हस्त नक्षत्र से साधना प्रारंभ कर मार्गशीर्ष के हस्तनक्षत्र तक करें । एक माला प्रतिदिन करें । हबनादि कर कन्या भोजन कराये । जप शुरू करते समय पंचमेबा की दस आहुति अबश्य देबे ।

हाथ की पांच अंगुलियों का प्रतीक देबी का चित्र बनाकर पट्टे पर रखें । देबी का स्थान हाथ के मध्य में है । उसके पैर हाथ की मणिबंध रेखा को स्पर्श करते हैं तथा ह्रदय रेखा के समीप मुखमंडल है एब देबी का मुकुट मध्यमा अंगुली के प्रथम पौर को स्पर्श कर रही है ।

देबी के आठ हाथ हैं दाहिनी और आशीर्बाद मुद्रा, रस्सी (पाश) खड्ग एबं तीर है तथा बायीं और हाथों में पुस्तक, घंटा, त्रिशूल एबं धनुष धारण किये हुये हैं ।

(क) आकर्षण –
ॐ ह्रीं पंचागुली देबी “देबदत्तस्य” आकर्षय आकर्षय नम: स्वाहा ।।

अष्टगंध से पंचान्गुली मंत्र (panchaanguli mantra) लिखे देबद्त की जगह ब्यक्ति का नाम लिखकर १०८ बार जप करें । प्रयोग शुक्ल पक्ष की अष्टमी से करें । यंत्र को बड़े बांस की भोगली के अंदर डाल देबें । ४१ दिन में आकर्षण होय ।

(ख) बशीकरण –
ॐ ह्रीं पंचागुली देबी अमको अमुकी मम बश्यं श्रं श्रां श्रीं स्वाहा ।।

इस यंत्र को बश्य बाले ब्यक्ति के कपडे पर शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हिंगुल गौरोचन मूंग के साथ स्याही बनाकर लिखे । लालचंदन का धूप ज्लाबें, दीपक जलाबे, इस यन्त्र को मकान की छत या छपर में बांधे १३ दिन तक १०८ बार पंचान्गुली मंत्र (panchaanguli mantra) नित्य जप करें ।

(ग) बिद्वेषण –
ॐ ह्रीं क्लीं क्षां क्षं फट् स्वाहा ।।

इस यन्त्र को शत्रु के बस्त्र श्मशान के कोयले से लिखें श्मशान में जाग पंख, उल्लू के पंख से हबन करें । यन्त्र को काले कपडे ब पत्थर से बांध कर कुबे में फेंक देबे । ४१ दिन तक १०८ बार पंचान्गुली मंत्र (panchaanguli mantra) जपें, उल्लू के पंख ब मास की धूप देबे ।

(घ) उच्चाटन –
ॐ ह्रीं पंचागुली अमुक्स्य उच्चाटय उच्चाटय ॐ क्षं क्लीं घे घे स्वाहा ।।

इस यंत्र को धतूरे के रस से लिखें । पृथ्वी पर कोयले से १०८ बार यंत्र लिखें । यंत्र को पृथ्वी में गाड़ें और उस पर अग्नि जलाबें तो ७ दिन में उच्चाटन हो जाता है । इस यंत्र को अमुक्स्य की जगह अमुकबाधा लिखे तथा यंत्र बिष (शंखिया, नीला थोथा) से लिखें तो प्रेत डाकिनी शाकिनी बाधा दूर होबे ।

(ड) मारण –
ॐ ह्रीं ष्पा ष्पी ष्पू ष्पौ ष्प: मम शत्रून मारय मारय पंचांगुली देबी चूसय चूसय निराघात बज्रेंन पातय पातय फट् फट् घे घे ।

इस यंत्र को श्मशान के कोयले से काले कपडे पर लिखें । निचे शत्रु का नाम लिखें । १०८ बार पंचान्गुली मंत्र (panchaanguli mantra) जाप करें भैसा गुगल का धूप करें । रेशमी डोरे से लपेट कर एकांत में गाड देबे । मदिरा की धार देबे धूप गुगल जलाबें पास में बैठकर १०८ बार पंचान्गुली मंत्र (panchaanguli mantra) जप करें । शत्रु के पांब की धूल भी गुगल के साथ जलाबें । कृष्णपक्ष चतुर्दशी के दिन प्रयोग करें तो शत्रु पैरो में आकर गिरे ।

यंत्र को निकाल कर दूध में भिगाबें । ॐ ह्रीं पंचागुली रक्ष रक्ष स्वाहा इस मंत्र से धूप करें, १२१ बार जपे तो शत्रु को शांति मिले ।

(च) रक्षा मंत्र –
ॐ ह्रीं श्रीं पंचागुली देबी मम शरीरे सर्बअरिष्टान् निबारणाय नम: स्वाहा ठ: ठ: ।।
इस पंचांगुली मंत्र (panchaanguli mantra) का सबालाख जप करें । धूप देबे तो सर्बकार्य सिद्ध होबे ।

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