जाने प्रेत श्राप योग क्या होता है और इसका उपाय क्या है ?

कुंडली में प्रेत श्राप योग और इसका उपाय :

प्रेत श्राप योग : कुंडली में कई तरह के योग बताए गए हैं । उन्हीं में से एक योग है- ‘प्रेत श्राप योग।’ कहते हैं कि जिस भी जातक की जन्म पत्रिका में शनि-राहु या शनि-केतु की युति होती है तो इस युति को प्रेत शाप योग कहते हैं । दूसरा यह कि राहु अथवा केतु का चतुर्थ या दूसरे (कुटुम्ब स्थान) से संबंध होने पर या लग्न के अंश के समीप होने पर भी ये योग बनता है । यह प्रेत श्राप योग या तो स्थायी होता है या फिर अस्थायी। गोचर और अंतरदशा अंतर्गत भी ये योग बनता है ।
जहां तक सवाल शनि-राहु या शनि-केतु की युति से बनने वाले योग की बात है तो यह युति जिस भी भाव में होती है, यह उस भाव के फल को बिगाड़ देती है या नष्ट कर देती है । ऐसे में व्यक्ति को हर कदम पर संघर्ष करना होता है और उसके जीवन में अचानक ही कोई घटना घट जाती है । ऐसी घटना जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता या अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि इस प्रेत श्राप योग के कारण एक के बाद एक कठिनाइयां सामने खड़ी होने लगती हैं ।
यदि शनि या राहू में से किसी भी ग्रह की दशा चल रही हो या आयुकाल चल रहा हो यानी उम्र के 7 से 12 या 36 से लेकर 47 वर्ष तक का समय हो तो मुसीबतों का दौर थमता नहीं है । ऐसा भी देखा गया है कि इस उम्र के दौरान यदि किसी शुभ या योगकारी ग्रह की दशा काल हो और शनि + राहू की युति हो तो इस प्रेत श्राप योग के कारण उक्त ग्रहों की दृष्टि का दुष्प्रभाव उस ग्रह पर हो जाने से शुभ फल नष्ट हो जाता है ।
अधिकतर ज्योतिषाचार्य इसे पितृदोष नहीं मानते हैं लेकिन यह माना जाता है कि यह पूर्व जन्म के दोषों में से शनि ग्रह से निर्मित पितृदोष है। यदि यह दोष किसी संतान में है तो उसके जन्म लेने के बाद ही किसी पंडित से निवारण करवा लेना चाहिए । कहते हैं कि इससे जमीन-जायदाद संबंधी विवाद भी पैदा होते हैं, प्रॉपर्टी बिक जाती है, कारखाना या दुकान हो तो बंद हो जाते हैं, पिता पर कर्ज इतना चढ़ जाता है कि उसे चुकाना मुश्किल हो जाता है। नौकरी हो तो छुट जाती है ।
यह भी कहा जाता है कि ऐसे प्रेत श्राप योग के कारण या ऐसे योग वाले के घर में जगह-जगह दरारें पड़ जाती हैं। सफाई के बावजूद बदबू आती रहती है । घर में से जहरीले जीव-जंतु निकलना भी इसकी निशानी है । मतलब यह कि इस घर में प्रेत श्राप योग का असर हो रहा है ।
यदि यह प्रेत श्राप योग सप्तम भाव पर प्रभाव डाले तो विवाह टूट जाता है । अष्टम पर डाले तो जातक पर जादू-टोने जैसा अजीब-सा प्रभाव रहता रहता है और हो सकता है कि उसकी दर्दनाक मौत हो जाए। नवम भाव में हो तो भाग्य साथ छोड़ देता है । एकादश भाव में हो तो मुसीबतों से लड़ते-लड़ते इंसान हारकर बैठ जाता है । इसी तरह कुंडली के हर भाव में इसका प्रभाव अलग-अलग होता है ।

प्रेत श्राप योग उपाय-

1. पितरों का अच्छे से श्राद्ध कर्म करना चाहिए ।
2. यदि कन्या हो तो गाय का दान और कन्या दान करना चाहिए ।
3. शनि, राहु और केतु के उपाय करना चाहिए ।
4. दोनों कान छिदवाकर उसमें सोना पहनना चाहिए ।
5. छाया दान करना चाहिए ।
6. अंधों को भोजन करवाना चाहिए ।
8. कुत्तों को प्रतिदिन रोटी खिलाना चाहिए ।
9. शराब पीना और मांस खाना छोड़ देना चाहिए ।
10. ब्याज का धंधा करना और पराई स्त्री से संबंध छोड़ देना चाहिए ।
11. शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं ।
12. अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें ।
13. कभी भी अहंकार व घमंड न करें, विनम्र बने रहें ।
14. किसी भी देवी, देवता और गुरु आदि का अपमान न करें ।
15. तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार- 9438741641 (Call/ Whatsapp)

Acharya Pradip Kumar is the founder of Mystic Shiva Astrology and a practitioner of Vedic astrology with a solution-oriented approach. His work focuses on understanding birth charts as tools for clarity, awareness, and practical decision-making rather than fear-based predictions. Rooted in classical astrological principles and real-life experience, he emphasizes responsible guidance, timing, and conscious remedies aligned with an individual’s life path.

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