बिद्या बुद्धिबर्द्धक तंत्र :
बिद्या बुद्धि : यदि किसी बालक की बुद्धि कुन्द हो और उसका मन पढने लिखने में न लगता हो तो निम्नलिखित प्रयोग करने से उसकी बुद्धि तीब्र हो जाती है तथा पढने लिखने में मन लग उठता है ।
शनिबार के दिन मुर्गे की दाईं टांग के पंजे में से बीच बाली अंगुली का नाख़ून काट कर ले आयें । फिर उस नाख़ून को 24 घंटे तक किसी दूध के बर्तन में पड़ा रहने दें । दूसरे दिन आधी रात के समय उस नाख़ून को अपने दायें हाथ में लेकर किसी नदी के तट पर जाय और नाख़ून को हाथ में लिए हुए ही नदी के जल में स्नान करे । स्नानपरांत गीले बस्त्रों से ही नदी तट पर पूर्ब दिशा की और मुँह करके सिद्धासन से बैठ जाय तथा मुर्गे के नाख़ून को अपने सामने रख कर निम्नलिखित मंत्र की १००८ बार उचारण करते हुए नख को अभीमंत्रित करें –
मंत्र –“ॐ नम: शारदायै, बुद्धि प्रदायिनयै श्रीं श्रीं श्री बिद्या बुद्धि ददातु स्वाहा ।”
पूर्बोक्त बिधि से अभिमंत्रित करने के बाद नाख़ून को लेकर घर लौट आयें । फिर नाख़ून को स्वर्ण, अष्टधातु अथबा तांबे के ताबीज में भर कर, उसमें लाल रंग का रेशमी डोरा पिरोयें तथा ताबीज को मन्द बुद्धि बालक के गले में पहना दें । इस ताबीज के प्रभाब से कुच्छ ही दिनों में बालक की बुद्धि तीब्र हो जायेगी और उसका मन पढने लिखने में खूब लग उठेगा ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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