शनिबार के दिन यदि किसी की म्रुत्यु हो और उसी दिन उसका शमशान मे दाह-कर्म किया जाए, तो एक मिटटी की हाँडी में खिचडी बनाकर शमशान-भुमि में ले जायें । जिस स्थान में मुर्दा जलाया जाए, बहाँ पर उस खिचडी को जमीन मे बिखेर दें । दूर बैठ जायें और जब शब-यात्रा के लोग लौटकर चले जायें तथा बिखरी खिचडि को कौबे खाने लगें, तब हंडिया मे जो कुछ खिचडि बच जाय, उस हंडिया को उठाकर चल दें । पीछे न देखें, पुरी क्रिया सम्पन्न होने तक मौन रहें । मार्ग में जो भी नीम का ब्रुख्य मिले, उसी के तने पर हाँडी को दे मारें । इससे हाँडी के कुछ चाबल जमीन पर गिर जायेंगे, कुछ चाबल नीम के तने पर चिपक जायेंगे । साबधानी पुर्बक दोनों चाबलों को एकत्रित कर लें । चिपके चाबलों को अलग बांधें और जमीन पर गिरे चाबलों को अलग बांधें । दोनो पोटलियों को गुगुल की धुनी देकर , जहाँ सुबिधा हो, एकान्त में गाड दें । गाडे हुए स्थान पर निशान लगा दें तथा शनिबार को उस स्थान पर भोग चढायें ।
भोग मे एक बताशा, गुग्ग्ल, मद्द चढायें । ऐसा 7 शनिबार करें । जब सात शनिबार पुरे हो जाये, तब भुमि खोदकर उन चाबलों को निकाल लें और घर आ जाएं तथा उन्हें सुरखित स्थान पर रख दें । जब कभि “बशिकरण” का कार्य हो, तब नीम से चिपके हुए चाबलों मे से दो-चार चाबल साध्य के शरीर पर फेंकें । कार्य पुरा होने के बाद यदि आपको उस ब्यक्ति की आबश्यकता न हो, तो जमीन पर गिरे हुए चाबलों में से दो-चार चाबल उसको किसी भी बस्तु के माध्यम से खिलायें । इससे बह आपसे कौबे की तरह मुंह फेर लेगा अर्थात् आपसे दुर हो जायेगा ।
उक्त टोटका बिना मंत्र का बशीकरण है, परन्तु इस बिना मंत्र का बशीकरण की क्रिया उग्र ब कठिन है । इससे “बशिकरण” अचूक होता है । साधकगण अपनी शरीर-रख्या का बिधान करने के बाद ही साबधानीपूर्बक साह्स के साथ इस बिना मंत्र का बशीकरण का प्रयोग करें ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641/9937207157 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या