ब्रेन ट्यूमर :
ब्रेन ट्यूमर : आधुनिक युग का अस्त – ब्यस्त तनाबपूर्ण जीबन इस रोग ही दें है । इस रोग में मस्तिष्क के भीतर एक प्रकार की गाँठ निकल आती है जो धीमे – धीमे एक फोड़े का रूप धारण कर लेती है , जिससे सर में तेज पीड़ा होती है । प्रारम्भिक अबस्था में इस रोग के लक्षण अस्पष्ट रहते हैं , किन्तु रोग (ट्यूमर) बढ़ने के साथ सर में तीब्र पीड़ा, चक्कर आना, बेहोशी, बमन इत्यादि लक्षण प्रकट होने लगते हैं ।
आँखों के आगे अँधेरा छाने लगता है । यह रोग लगभग असाध्य रोग है जो केबल शल्य चिकित्सा द्वारा ठीक हो सकता है, परन्तु इसमें भी रोगी के जीबित रहने के अबसर कम ही होते हैं ।
ज्योतिषीय सिद्धांत :
दिमाग के ऊतकों पर बुध का अधिकार होता है । बुध पर यदि किसी भी पाप अथबा क्रूर ग्रह का प्रभाब पड़े तो इसका प्रत्यक्ष प्रभाब मस्तिष्क पर पड़ता है । मेष राशि का शुक्र भी इस रोग का कारक है, मेष का मंगल भी पूरी तरह पाप ग्रहों के प्रभाब में हो तो इस रोग के होने की संभाबना बनती है । मेष राशि में शनि, राहु तथा केतु का योग भी ब्रेन ट्यूमर का कारण हो सकता है ।
हरा पन्ना, पीला पुखराज तथा लाल मूँगा समान बजन का पेंडेंट या कड़े में धारण करना उपयुक्त रहता है और तीनों रत्नों को समान मात्रा में कड़े के स्थान पर अंगूठी में भी पहना जा सकता है । रत्नों की भस्म बनाकर सेबन करने से भी रोग में लाभ होता है ।
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