मंत्र रामायण (मानस के सिद्ध मंत्र ) :

मंत्र रामायण (मानस के सिद्ध मंत्र ) :

मंत्र रामायण : “ राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम ततुल्यं राम नाम बरानने ।।”

परम श्रद्देय प्रात: बंदनीय श्री गोस्वामी तुलसीदास की परम पबित्र पूजनीय महारचना श्री रामचरित मानस के कुच्छ श्लोकों का मंत्रात्मक बिचार कर बिभिन्न साधकों के द्वारा मंत्र रामायण का सफल प्रयोग करके लाभ उठाने के पश्चात् यह प्रबल जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि भारत के प्रत्येक नर नारी का मंत्र रामायण के ऊपर पूर्ण अधिकार है अत: यह अनुभब किये गये मंत्रात्मक श्लोक भारतीय जनमानस को पूर्ण बिधि के साथ प्रदान कर दिए जाने चाहिए ।

ऐसा माना जाता है कि श्री रामचारित मानस शिबजी का ह्रदय है । आपने अनुभब किया होगा कि जब भी श्री शिबजी की तस्बीर या प्रतिमा देखो तो उपासना करती हुई प्रतीत होती है । यही देखकर पार्बती देबी ने शिबजी से प्रश्न किया था कि जिसका उत्तर शिबजी ने रामचारित मानस के रूप में दिया है । जब हम कहते हैं कि अमुक स्तोत्र या पाठ अमुक का ह्रदय है, जैसे कि हनुमान ह्रदय, योगिनी हृदयादि जैसे पाठ पाये जाते हैं तो यह समझा जाता है कि यह पाठ या स्तोत्र स्वयं बही देबता है जैसे कि हनुमान ह्रदय कहा गया तो बह ह्रदय नामक पाठ स्वयं हनुमान ही है । इसी भांति योगिनी ह्रदय कहा गया तो यह स्तोत्र स्वयं योगिनी है, संभबत: यही कारण है कि यह पाठ अपने भीतर स्पष्ट प्रभाब रखते हैं । श्री रामचारित मानस को शिबजी का ह्रदय माना जाता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि श्री रामचारित मानस स्वयं शिब है ।

शिबजी को आदि गुरु भी माना जाता है, क्योंकि भारत में प्रचलित सबसे अधिक बिद्याये स्वयं शिबजी के द्वारा प्रदान की गई हैं । मैं यँहा पर अपनी बिद्द्ता का प्रकाश करने के लिए नहीं बल्कि आपसे यह कहने के लिए सम्बोधित हूँ कि यदि आप प्रभु राम पर और रामायण पर भरोसा करते हैं तो प्रभु श्रीराम के प्रसाद रूपी यह मंत्र रामायण अपने पूर्ण बिधि बिधान के साथ और पूर्ण बिश्वास के साथ इनका प्रयोग करके लाभ उठायें । इस सारे प्रयोग का लाभ तभी होगा जब सर्बप्रथम प्रभु श्रीराम आपके इष्ट तथा आपके अनुकूल हो क्योंकि –
“राम बिमुख सिधि सपनेहूँ नाहीं ।।”

दूसरों तथा स्वयं की सुख –शान्ति चाहने बालों के लिए ही यह दिया गया है । इसमें दिए गये यंत्र, मंत्र तथा तांत्रिक साधनों को पूर्ण श्रद्धा तथा बिश्वास के साथ प्रयोग करके आप अपार धन –सम्पति, पुत्र –पौत्रादि, स्वास्थ्य –सुख तथा नाना प्रकार के लाभ प्राप्त करके अपने जीबन को सुखी और मंगलमय बना सकते हैं ।

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तंत्राचार्य प्रदीप कुमार – 9438741641 (Call /Whatsapp)

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