मनोकामना पूर्ति मंत्र :

मनोकामना पूर्ति मंत्र :

मनोकामना पूर्ति मंत्र : निचे लिखा मंत्र मनोकामना की पूर्ति करता है । मंत्र इस प्रकार है –
मंत्र (1) : “ॐ आं अं स्वाहा ।”

बिधि : शौच –स्नानादि से निबृत होकर, उक्त मंत्र का नित्य 1000 की संख्या में जप करने तथा ब्रह्मचर्य ब्रत का पालन करते हुए हल्का भोजन करते रहने से धन –धान्य की बृद्धि होती हैं । जब उक्त मंत्र का जप सबा लाख पूरा हो जाये, तब दशांश हबन करना चाहिए ।

उक्त साधन से न केबल धन प्राप्त होता हैं, अपितु अन्य मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं ।

मनोकामना पूर्ति मंत्र (2) :
निचे लिखा मंत्र मनोकामनाओं की पूर्ति करता है –
“ॐ ह्रीं पूर्बदयां । ॐ ह्रीं फट् स्वाहा ।”

बिधि – उक्त मंत्र का उचारण करते हुए घी और शहद मिले लाल चन्दन तथा लाल कनेर के फूलों से हबन करें । इस प्रकार नित्य एक मास तक 1008 की संख्या में जप तथा हबन करते रहने से, जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए अनुष्ठान किया जाये, बह सफल होती है ।

मनोकामना पूर्ति मंत्र (3) :
निचे लिखा मंत्र प्रतिदिन 1008 की संख्या में एक मास तक जपते रह कर, नित्य एक लाख कनेर का पुष्प चढाते रहने से भगबती प्रसन्न होकर साधक की मनोकामना पूर्ण करती है ।

मंत्र इस प्रकार है –
“ॐ ह्रीं श्रीं मानससिद्धकरी ह्रीं नम: ।”

मनोकामना पूर्ति मंत्र (4) :
निचे लिखे मंत्र द्वारा अभिमंत्रित बेर के बाँदा को स्वाति नक्षत्र में लाकर, जो ब्यक्ति अपनी दाई भुजा में धारण करता है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
मंत्र इस प्रकार है –
“ॐ अन्तरिक्षाय स्वाहा ।”

मनोकामना पूर्ति मंत्र (5) :
पुष्य नक्षत्र बाले रबिबार के दिन सफ़ेद आक की जड़ को लाकर, उसके द्वारा अंगूठे के बराबर आकार बाली गणेश जी की मूर्ति तैयार कर, “श्री महागणपतये नम:” इस मंत्र द्वारा उस मूर्ति का भक्ति पूर्बक पूजन करें । तत्पश्चात् ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तथा “ॐ अन्तरिक्षाय स्वाहा ” – इस मंत्र का उचारण करते हुए, लाल चन्दन एबं लाल कनेर के पुष्प, गन्ध आदि से हबन करें ।

इस प्रकार किसी भी एक कामना की पूर्ति के लिए एक मास तक पूजन एबं हबन करते रहने से श्री गणेश जी की कृपा से उस मनोकामना की पूर्ति होती है ।

मनोकामना पूर्ति मंत्र (6) :
निम्नलिखित मंत्र मनोकामनाओं की पूर्ति करने में सहायक है । मनोकामना सम्बन्धी अन्य किसी भी अनुष्ठान को करने से पूर्ब उस बिधान में अयुक्त होने बाली बस्तुओं को इस सिद्ध मंत्र द्वारा 22 बार अभिमंत्रित कर लेने से सफलता की आशा की जा सकती है ।

नित्य संकल्पपूर्बक इस मंत्र का 108 की संख्या में एक बर्ष तक निरन्तर जप करते रहने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है तथा समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करता रहता है ।

मंत्र इस प्रकार है –
“स्फ्रें सफ्रें दूं दूं दूं ह्रीं हूँ हूँ सां सीं सूं सें सौं स: छां छीं छूं छै छौं छ: ह्रीं फट् स्वाहा ।”

मनोकामना पूर्ति मंत्र (7) :
निचे लिखे मंत्र को एक पांब से खड़े होकर 108 बार जपें तथा बकरी के मांस का भोग रख कर लाल फूल चढ़ायें । इस प्रकार 6 मास तक नित्य साधन करते रहने से देबी प्रसन्न होकर साधक की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करती है ।
मंत्र इस प्रकार है –
“ॐ हूं करि करालिनी क्षं क्षां फट् ।”

मनोकामना पूर्ति मंत्र (8) :
निम्नलिखित मंत्र 5000 की संख्या में जप करने तथा पंचमेबा “घृत”, मुनक्का का दशांश होम करने से सिद्ध होता है । मंत्र इस प्रकार हैं –
“ॐ नमो महामाया महाभोग्दायिनि हुं स्वाहा ।”

जप के पश्चात् स्त्रियों का पूजन करके उन्हें मिष्ठान भोजन कराना चाहिए तथा स्वयं भी मिष्ठान भोजन करना चाहिए ।

इस मंत्र के प्रभाब से महामाया देबी प्रसन्न होकर साधक की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करती है ।

इस मंत्र को सिद्ध कर लेने बाला मनुष्य स्त्री, पुरुष तथा राजा आदि सब लोगों को बशीभूत कर लेने बाला तथा सर्बमान्य होता है ।

मनोकामना पूर्ति मंत्र (9) :
निम्नलिखित मंत्र को ब्रह्मचर्य ब्रत धारण कर तथा पबित्र होकर एक लाख की संख्या में जपने में मंत्र सिद्ध हो जाता है । जप का दशांश पंचमेबा का हबन करना आबश्यक है ।

मंत्र इस प्रकार है –
“ॐ ग्रीं ग्रूं गणपतये नम: स्वाहा ।”

साधन काल में पृथ्वी पर शयन करना चाहिए तथा अपने बिचारों को हर समय पबित्र रखना चाहिए, मंत्र के सिद्ध हो जाने पर साधक को ऋद्धि – सिद्धि प्राप्त होती है, उसके समस्त बिघ्न दूर हो जाते हैं तथा समस्त मनोकामानाएं पूर्ण होती रहती हैं ।

इसका नाम “गणपति चेटक मंत्र” है ।

मनोकामना पूर्ति मंत्र (10) :
मंत्र : “ॐ ह्रीं नम: ।”

उक्त मंत्र का हर समय जप करते रहने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती रहती हैं ।

मनोकामना पूर्ति मंत्र (11) :
मंत्र : “ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि कुरु कुरु ह्रीं नम: ।”

इस मंत्र का एक लाख की संख्या में जप करके देबी का यथाबिधि पूजन करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती है ।

मनोकामना पूर्ति मंत्र (12) :
मंत्र : “ॐ ह्रीं मन से ॐ ॐ ।”

उक्त मंत्र का दस हजार की संख्या में जप करने तथा घी, दूध और चाबल का दशांश हबन करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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