मातृ दोष और उसके उपाय :
मातृ दोष : ज्योतिष बिज्ञान में “मातृ दोष और उपाय ” एक ऐसा ग्रहण किया जाता है जो गर्भधारण या शिशु की जन्म के समय मात्र की जन्म चार्ट या कुंडली पर किया जाता है । यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखा जाता है की कुंडली में कितने ग्रह या ग्रह की स्थान परिबर्तन के चलते गर्भबती और शिशु पर कैसा प्रभाब डाल सकते है ।
मातृ दोष की जांच कुंडली में बिभिन्न योगो और ग्रहों की संयोजन के माध्यम से की जाति है , और इसे गर्भधारण , गर्भस्थान और जन्म के समय के आधार पर बिश्लेषित किया जाता है ।
ज्योतिष के आधार पर , कुंडली में मातृ दोष होता है तो ,शिशु के जीबन पर महत्वपूर्ण प्रभाब पड़ता है । जैसे की उसके स्वास्थ्य, बिद्या और बिबाह सम्बन्धी मामले में , इसके आधार पर ज्योतिष शास्त्र के प्रशंसक उपाय करते है जैसे की मंत्र जाप , ब्रत रखना और कुछ मंत्र अनुष्ठान , जिनका उदेश्य इस दोष को शांत करना ।
यह जरुरी है की आप ज्योतिष के इन प्राकृतिक दृष्टिकोण को बिश्वास करने से पहले बैज्ञानिक और तथात्मक दृष्टिकोण से भी देखे , और किसी भी निर्णय के प्रति साबधानी पुर्बक बिचार करे ।
कुंडली बिचार में देखा जाए तो ,यदि कुंडली में चंद्रमा पंचम भाव का स्वामी होकर शनि, राहु, मंगल आदि क्रूर ग्रहों से युक्त या आक्रान्त हो और गुरु अकेला पंचम या नवम भाव में है तब मातृ दोष के कारण संतान सुख में कमी का अनुभव हो सकता है ।
मातृ दोष के शांति उपाय :
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में यह दोष बन रहा है तब इसकी शांति के लिए गोदान करना चाहिए या चांदी के बर्तन में गाय का दूध भरकर दान देना शुभ होगा। इन शांति उपायों के अतिरिक्त एक लाख गायत्री मंत्र का जाप करवाकर हवन कराना चाहिए तथा दशमांश तर्पण करना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए, वस्त्रादि का दान अपनी सामर्थ्य अनुसार् करना चाहिए। इससे मातृ दोष की शांति होती है ।
यह दोष की शांति के लिए पीपल के वृक्ष की 28 हजार परिक्रमा करने से भी लाभ मिलता है ।
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