रोगों के उपचार में ग्रहों का रोल :

रोगों के उपचार में ग्रहों का रोल :

रोग और उसका उपाय : मनुष्य के मन, मस्तिष्क और शरीर पर मौसम, ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव लगातार रहता है । कुछ लोग इन प्रभाव से बच जाते हैं तो कुछ इनकी चपेट में आ जाते हैं । बचने वाले लोगों की सुदृढ़ मानसिक स्थिति और प्रतिरोधक क्षमता का योगदान रहता है । लाल किताब अनुसार ,कुंडली का खाना नं. छह और आठ का विश्लेषण करने के साथ की ग्रहों की स्थिति और मिलान अनुसार ही रोग और उसका उपाय को तय किया जाता है । प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में यह स्थितियाँ अलग-अलग होती है और रोग और उसका उपाय भी ग्रह की स्तिति को ध्यान में रख कर किया जाता है । निम्नलिखित हैं कुछ ग्रहों के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले रोग और उसका उपाय, यहाँ प्रस्तुत है सामान्य जानकारी …….

ग्रहों से उत्पन्न रोग और उसका उपाय :-

निम्न मते जन्म कुण्डली में 9 ग्रहों दूषित होने पर शरीर में नाना रोग उत्पन्न होता है , यंहा 9 ग्रहों से उत्पन्न रोग और उसका उपाय की सम्पूर्ण जानकारी निम्न मते दिया गया है , जिससे कोई भी आदमी अपना जन्म कुण्डली स्वयं देखकर आसानी उसका निदान कर सकता है ।
1. बृहस्पति : बृहस्पति ग्रह के दोष से रोग जैसे अस्त्रियों की समस्याएँ, पेट संबंधित समस्याएँ, मोटापा, आंखों की समस्याएँ आदि उत्पन्न हो सकते हैं ।
2. सूर्य : सूर्य के दोष से रोग जैसे मानसिक दिक्कतें, नेत्रों के संबंधित समस्याएँ, हृदय संबंधित समस्याएँ, मधुमेह, पित्तरोग आदि उत्पन्न हो सकते हैं ।
3. चंद्र : चंद्र ग्रह के दोष से रोग जैसे मानसिक बीमारियाँ, चंद्रमा संबंधित रोग, पाचन संबंधित समस्याएँ आदि उत्पन्न हो सकते हैं ।
4. शुक्र : त्वचा, दाद, खुजली का रोग ।
5. मंगल : मंगल ग्रह के दोष से रोग जैसे तापमान बढ़ना, रक्ताल्पता, मांसपेशियों की समस्याएँ, बाधाएँ आदि उत्पन्न हो सकते हैं ।
6. बुध : चेचक, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँत का रोग ।
7. शनि : शनि ग्रह के दोष से रोग जैसे जोड़ों की समस्याएँ, बालकों की समस्याएँ, दांतों की समस्याएँ, खांसी, सर्दी आदि उत्पन्न हो सकते हैं ।
8. राहु : बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि ।
9. केतु : रीढ़, जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्निया, गुप्तांग संबंधी रोग आदि ।

रोग का निवारण :

1. बृहस्पति : केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ ।
2. सूर्य : सूर्य की पूजा करना, सूर्य के मंत्रों का जाप करना, सूर्यास्त और सूर्योदय के समय आराधना करना।बहते पानी में गुड़ बहाएँ ।
3. चंद्र : किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर-बर्फी का दान करें ।
4. शुक्र : गाय की सेवा करें और घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें ।
5. मंगल : बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठा कच्चा दूध 43 दिन लगातार डालें । उस दूध से भिगी मिट्टी का तिलक लगाएँ ।
6. बुध : 96 घंटे के लिए नाक छिदवाकर उसमें चाँदी का तार या सफेद धागा डाल कर रखें । ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँ ।
7. शनि : बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ ।
8. राहु : जौ, सरसों या मूली का दान करें ।
9. केतु : मिट्टी के बने तंदूर में मीठी रोटी बनाकर 43 दिन कुत्तों को खिलाएँ ।
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