शत्रु-पीड़ा निवारण का अचूक मंत्र

शत्रु-पीड़ा निवारण का अचूक मंत्र :

शत्रु-पीड़ा : यह प्रमुख  शत्रु-पीड़ा मंत्र भैरब जी की साधना से सम्बन्धित है , अत: साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए  भैरब जी के अनुष्ठानिक नियमों का पालन करते हुए निष्ठां पुर्बक भक्तिभाब से इस साधना को संपन्न करना चाहिए ! उसे हर प्रकार से सात्विक बिचारों में लीन और भैरब चिंतन करते रहना चाहिए ! आज के समय में यह मंत्र शत्रु नाश निमंते बिशेष फलप्रद साबित हुआ है !

शत्रु-पीड़ा मंत्र :

“ओम ह्रीं बटुक-भैरब ! बालक केश ! भग्बान बेश !सब आपद को काल !भक्त-जन हट को पाल ! कर-धरे शिर-कपाल !दुजे करबाल !त्रि-शक्ति देवी को बाल !भक्त-जन-मानस को भाल !तैतीस कोटि मंत्र को जाल ! प्रत्ख्य बटुक-भैरब जानिये ! मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति ! फुरो मंत्र-इश्वरो बाचा !”
 

शत्रु-पीड़ा मंत्र बिधान :

उक्त शत्रु-पीड़ा मंत्र को सिद्ध करने हेतु किसी भि ग्रहण, होली की रत्रि , अमाबस्या की रात्र अथबा गंगा-स्नान (दशहरा) के दिन उडद के बडों क नैवेद्य बनाकर बटुक भैरब को भोग दे ! बटुक भैरब का सामान्य पूजा अर्चना करने के बाद गुगुल की धूप देकर इस मंत्र की दस माला जप करे ! पूजन के समय शुद्ध देशी घी अथबा सोरोस का तेल (कची घानी के तेल ) के दीपक जलाये ! फिर काले कम्बल के आसन पर बैठकर 10 माला उक्त मंत्र का जप करे !
इस प्रक्रिया से शत्रु-पीड़ा मंत्र सिद्ध हो जाता है ! प्रयोग के समय, अपनी कामना पुर्ति, भुत-प्रेत पिसाच आदि कि निब्रुति, शत्रु -भय का निबारण करने हेतु भगबान बटुक भैरब का ध्यान करते हुए उक्त मंत्र का 108 की संख्या मे जप करे ! इस अचूक प्रयोग से पूर्ब मे बर्णित कार्यो की सिद्धि निश्चित रुप से हो जाती है !
 
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जय माँ कामाख्या

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