काल भैरव मंत्र साधना विधि

Kaal Bhairav Mantra Sadhana Vidhi :

काल भैरब मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) साधना विधि एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमय बिधि है जो ब्यक्ति को अपने उदेश्यों और कार्यों में सफलता प्राप्त करने केलिए मार्गदर्शन करती है ।काल भैरब , भगबान शिब के एक अद्दितीय स्वरुप के रूप में पूजा जाते हैं और उनकी साधना से ब्यक्ति अपने जीबन में प्रगट बदलाब और सफलता प्राप्त कर सकता है ।
कार्य सिद्ध मंत्र साधना द्वारा ब्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो सकता है और अपने जीबन के बिभिन्न क्षेत्रों में सशक्त बन सकता है । इस साधना में काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) का बिशेष महत्व है ,जिन्हें सही तरीके से पढ़ा जाता है ताकि उनकी शक्ति पूरी तरह से अनुभूत हो सके।
साधना का प्रारम्भ करने से पहले ,ब्यक्ति को जोग्य गुरु का चयन करना चाहिए , जो उन्हें इस साधना में मार्गदर्शन कर सकते है । सही तरीके से ध्यान ,काल भैरव मंत्र जप और पूजा के माध्यम से ब्यक्ति काल भैरब के साथ साक्षातकार करता है और उनकी कृपा से सर्बाधिक फल प्राप्त कर सकता है ।
ध्यान, आध्यात्मिकता और साधना की माध्यम से ब्यक्ति काल भैरब मंत्र साधना (Kaal Bhairav Mantra) के माध्यम से अपने जीबन को प्रशांत , सफल और पूर्ण बना सकता है ।।

Kaal Bhairav Mantra :

मंत्र : “ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।”

Kaal Bhairav Mantra Sadhna Vidhi :
रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, इस साधना में भयभीत हुए बिना साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ उक्त स्थान पर ले जानी हैं ।
लाल लूंगी अधोवस्त्र पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजा करें, चौका लगाने के बारे में कहा गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनानी होती हैं । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गुग्गल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें यही विधि होती है चौकों को लगाने की ।
धूप देकर सब सामान देव को अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन या प्रकाश की वस्तु रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार ४१ दिन तक काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) जप करें । यदि कोई भयानक चीज दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे लेकिन प्रयोग को एकांत और स्थान पर करें ।मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें यह भैरव जी हैं । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड जलते रहना चाहिए
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जय माँ कामाख्या

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