शरीर रक्षा कबच :

शरीर रक्षा कबच :

शरीर रक्षा कबच : उलटा कबचोर पुलटा भाग तृदह देबता खलखली हाह (कबच के प्रहार से सब उलटा पुलटा हो गया, तीन लोक के देबताओ में खलबली मच गई) । भेद करू कबच मंत्रों आग भैला थीओ तृदह देबता उरी गैला (कवच मंत्रो से आग निकली जिससे तीनों लोकों के देबता उड़कर भाग गये) ।

जीबो तलोत बांधो “जख्य जख्यनि” (यक्ष यक्षिणी) उपरोत बांधो हाख्य हाख्यीनी “एही गांडीब धनु प्रहार करू” (इसी तरह मैं गांडीब धनुष का प्रहार करता हुं) हूं हूंकार आमुकार गाबबारी असर न आहीबि हीमा हंचार ।।फू:।। (हूं हूंकार करके अमुक के शरीर की रक्षा करता हूं, कोई खोटा असर नहीं होबे, मैं सीमा को भी बांधता हूं) ।

बिधि – इस शरीर रक्षा कबच मंत्र से डोरा बनायें, यात्रा या अन्य प्रयोग समय खुद के बस्त्र को गाँठ लगाबें तो खुद की रक्षा होबे । अन्य बिधि उपरोक्त मंत्र की तरह है ।

आज की तारीख में हर कोई किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है । हर कोई चाहता है कि इन समस्याओ का समाधान जल्द से जल्द हो जाए, ताकि जिंदगी एक बार फिर से पटरी पर आ सके । आज हम आपको हर समस्या का रामबाण उपाय बताएंगे, जिसे करने के बाद आपकी हर समस्या का समाधान हो जाएगा ।

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