शुक्र ग्रह :
शुक्र ग्रह : शुक्र को ग्रहों में मंत्री का पद प्राप्त है । शुक्र ग्रह का यंत्र बनबाकर इसे पूजा कक्ष में स्थापित कर दें । प्रतिदिन इस यंत्र की पूजा करने से जीबन में सुख और बिलासिता की बस्तुएं प्राप्त होती हैं । शुक्र एक राशि में 27 दिन रहता है । शुक्र स्त्री ग्रह है जो मीन राशि में उच्च का और कन्या राशि में नीच का होता है । शुक्र के लिए सूर्य और चंद्र शत्रु ग्रह है । मंगल और गुरु सम है जबकि बुध और शनि इसके मित्र ग्रह है । शुक्र पत्नी, सबारी, आनंद और बैभब का कारक होता है । शुक्र का रंग सफ़ेद और स्वामी इन्द्राणी है । शुक्र का वर्ण ब्राह्मण है ।
शुक्र अच्छा हो तो क्या –
कुंडली में शुक्र ग्रह अच्छा हो तो संगीत, कला, सिनेमा, बिदेश यात्रा, हड्डी बिशेषज्ञ और प्रेमी बनाता है ।
शुक्र खराब हो तो क्या –
कुंडली में शुक्र खराब हो तो जीबन नीरस हो जाता है । भौतिक और बिलासिता की बस्तुएं मिल भी जाएं तो उसका उपभोग नहीं कर पाते ।
खराब शुक्र को कैसे ठीक करें –
कुंडली में खराब शुक्र को ठीक करने के लिये घर में बनी पहली रोटी और भोजन की थाली का पहला ग्रास गौ माता को खिलाना चाहिए । इसके अलाबा शाम 5 बजे के आसपास चाबल, सफ़ेद फूल, घी, दही और इत्र का दान करना चाहिए ।
शुक्र का जाप –
शुक्र के लिए 16000 जाप होता है । पर कलियुग में इसे चार गुना यानी 64000 जाप कराएं तभी समुचित फल मिलता है ।
शुक्र का शास्त्रोक्त मंत्र : “ॐ शुक्रायै नम:”
तंत्रोक्त या बीज मंत्र – “ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्रायै नम:”
शुक्र की महादशा – शुक्र की महादशा 20 साल चलती है ।
बिशेष – शुक्र 10 डिग्री से 20 डिग्री में फल देता है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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