श्मशान बाबरा भूत बीर साधना कैसे करें?

श्मशान बाबरा भूत बीर साधना :

श्मशान बाबरा भूत : “ओम नमो आदेश गुरु को, बाबरीया बीर । बाबरा मसाण बाला
फ्ट-फट कर जागा बाबरा बीर खाय बकरा पीबें बारा पटठी मद
की। रक्त मांस को नाश्तो करें । खडो-खडो जाये । मसाणे लेट
जाये । इकी पूजा कुण करे । ओझा और कामण-टुमण करण
बारा । सभी करता पुजे खाता चौरासी का बिना बाबरा के ना
सांधि जे खाता । तब देबल-देबाल करण बारा । सभी पुकारी
बाबरा-बाबरा आया बाबन बीरों के साथ पूरी पंगज परी और
सबन को बैठा के जिमाया काली नाथजी की काली बिद्या माई
काली ने समझाई इनकी कृपा से नाथ भक्त ने बाबरों जगबियो
बाबरी आब, लेत पूजा । शांत होत बैठ। मैं तोशु कहाई बा सुना
कुहू बों, मानी जा । मोर गुरु की बात हमारी बात ना माने तेथे
कालीरो त्रिशुल फासे ताको । मैली मसाणी की आणे फिरे । शव्द
सांचा पिण्ड कांचा श्री नाथ जी का मंत्र सांचा हमारी भक्ति गुरु
की शक्ति फुरों मंत्र ईश्वरो बाचा दुहाई मसाण बाली की ।।”
 
श्मशान बाबरा भूत बिधि : साधक बाबरा की सिद्धि गुरु के साथ में रहकर करें तथा गुरु आज्ञा से इस मंत्र की सिद्धि कार्तिक महिने की चौदस की रात्रि से 21 दिन पहले आरम्भ करें । समय रात्रि 12 बजे से चार बजे के बीच मे बस्त्र काले रंग के या निबस्त्र होकर दिशा-दखिण के अग्नि कोण की और अपना मुख रखें । माला हड्डियों से बनी हुई । मनुष्य की खोपडी मे दीपक रखे । महिष चमका आसन लेबे । देशी मछुओं के द्वारा बनाया गया शराब का मटका भर के अर्पण करें । निम्बु माला, 27 नगं की। दो दीपक एक-घी एक तिली तेल का । लोबान, काले तिल, राई बतीसा, कपूर, लौंग आदि का धूप-जलाबें । बकरे की आखी कलेजी रखे और इस सामग्री के द्वरा पूजा करें । मोगरा या हीना आदि का ईत्र छिडके । दो माला लाल पुष्पों की बनाकर दोनों दीपकों पर चडाबें । फिर अपने सामने जल पात्र रखें और गुरु मंत्र का जप करें जो दीपक के समय प्राप्त किया होगा, उसे जपे । इसके उपरांत चाकु से अपने चारों और रेखा खींच लें । रेखा खींचते समय रख्या मंत्र का सात बार जप करें । फिर अपने गुरु के द्वारा बताये गये बिधि का प्रयोग करें ,बाकि बिधि गुरु के अनुसार करें ।
 
नोट : इस श्मशान बाबरा भूत साधना को करने से पहलें सिद्ध गुरु से दीख्या प्राप्त कर लें । इसके बाद ही इस साधना को गुरु के आदेशानुसार ही करें । अपने गुरुजी से पुर्ण बिधि प्राप्त करके आगे बडे अन्यथा प्राण संकट मे पड जायेंगे उसके स्वयं ही जिम्मेदार होगा । हमने केबल पाठकों के ज्ञान ब जानकारी के लिये प्रयोग दिया है । हमने किसी को ये नहीं कहा की आप साधना करे । ये श्मशान बाबरा भूत प्रयोग अघौड साधको के लिये है, सामन्य ब्यक्तियों के लिये नहीं है । यह श्मशान बाबरा भूत साधना बहुत ही उग्र और खतरनाक है, बिना गुरु के कभी नहीं की जाती और गुरु भी बह होना चाहिये जो कि यह औघड सिद्धि कर चुका हो अर्थात किसी अघोर तंत्र के सिद्ध साधक से दीख्या-शिख्या प्राप्त करके उनके साथ रहकर ही साधना करे । इसमें गुरुजी का साथ होना अनिबार्य है, नहीं तो साधक साधना के दुसरे या तीसरा दिन ही बिनाश को प्राप्त हो जायेगा यह श्मशान बाबरा भूत साधना प्राचीन गुप्त है । यहाँ कुछ बिधि मेंने गोपनीय रखी है । यहाँ पर देना सही नहीं है । यह श्मशान बाबरा भूत साधना आसुरी सिद्धि की प्राप्ति के लिये है जो कामरू कामाख्या मे प्रचलित है, आज के समय मे यह अत्यंत गुप्त ब दुर्लभ है ।

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जय माँ कामाख्या

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