जगत जननी महामाया भगबती माता परमेश्वरी के कई नाम और अबतार हुए हैं । उसमें एक नाम महाशक्ति मेलडी मां के रुप आया है । यह महामाया मेलडी माता (Mahamaya Meldi Mata) स्वयं महामाया पराम्बा का अंश और अबतार है । ऐसे तो आद्याशक्ति परमेश्वरी अजन्मी है । परन्तु जब जन असुरों ने और दुष्टात्माओं ने अत्याचार और आंतक फैलाया है तब तब मां अपने भक्तों की सुरख्या के लिये बिभिन्न रुपों में अबतरित हुई है । कभी दुष्ट का संहार करने के लिये तो कभी चण्ड-मुण्ड एबं महिषासुर जैसे महापापी का नाश करने के लिये अबतार धारण करके अनेकों बार अबतरित हुई है । मां के नाम और अबतार बिभिन्न उद्देश्य की पूर्ति के लिये और जगत के कल्याण हेतु ही होते रहे हैं । माता जगदम्बा ने समय-समय पर दुष्टों के नाश हेतु अबतार धारण किये हैं । ऐसे तो मां भगबती सूख्यम एबं स्थूल शरीर से परे है जो आदि-शक्ति है । बह स्वयं पारब्रह्मा रूप है । बह केबल अपनी इछा मात्र से ही सृष्टि की रचना, पालन एबं संहार करने में समर्थ हैं । बास्तब में बह निर्गुण स्वरुपी ही है । इस संसार मे जब कुछ भी नहीं था तब भी ये महाशक्ति बिद्यमान थी और जब कुछ भी नहीं रहेगा तब भी महामया पराम्बा भगबती परमेश्वर ही रहेगी, यह समस्त चराचर जगत की स्वामिनी आद्दभगबती ही है सभी देबी-देबताओं की भी स्वामिनी मा भगबती ही है । महामाया ने नरकासुर का संहार करने के लिये भगबती महामाया मेलडी माता (Mahamaya Meldi Mata) मां के रुप में अबतार लिया था और उस अत्याचारी नरकासुर नाम के राख्यस का संहार किया और संसार को उसके भय और आंतक से मुक्त करबाया ।
साधकों ! माता महामाया मेलडी माता (Mahamaya Meldi Mata) के बिभिन्न स्वरुप ब नाम आये है । भगबती महामाया मेलडी माता (Mahamaya Meldi Mata) का स्वरुप जगदम्बा की भांति अष्ट भुजाधारी एबं लाल बस्त्रों को धारण किये हुए है । माता मेलडी ने बकरे की सबारी की हुई है अर्थात् बकरे पर बैठी हुई है । इनके आठों हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण कर रखे हैं और एक हाथ में मदिरा का पात्र धारण किया हुआ है । महामाया मेलडी माता (Mahamaya Meldi Mata) का स्वरुप बालकन्या की भांति युबाबस्था में हैं । माता ने अपने मस्तक पर दिब्य रत्नों से जडित मुकुट धारण कर रखा है, गले में हार पहना हुआ है । मां मेलडी भक्तों को एक हाथ से बरदान एबं अभय का आशीर्बाद दे रही है । मां के हाथों में अस्त्र-शस्त्र इस प्रकार हैं । महामाया मेलडी माता आठों हाथों आयुध धारण किये हुये है जैसे कि सुदर्शन चक्र, पाश, गदा, अभय मुद्रा, मद्दपात्र और एक हाथ में सिन्दुर ब रक्त का प्याला, खडग और त्रिशुल आदि । साधकों भगबती महामाया मेलडी माता के कई स्वरुप है । उन सभी का ध्यान भिन्न –भिन्न स्वरुपों में है । यहाँ पर केबल एक ही स्वरुप का ध्यान दिया गया है । इस स्वरुप बाली देबी का नाम है भगबती उगती मेलडी महाबिद्या या सूर्य भबन की माता उगती मेलडी भी कहा जाता है ।
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जय माँ कामाख्या