Shri Surya Meldi Mantra Ke Laabh :
।। श्री सुर्य मेलडी मंत्र।।
“ॐ नमो नम: सूर्य भबननी माई, श्री उगताई मेलडी लोक
माया। करो मोरी रख्या। मेरी मेलडी माई जोगणी जगत की मेलडी
बैले मोरी आबो रोग ब्याधि दूर करो। सुख सम्पति से मोरो घर
भरो। मेरी उगती मेलडी माई। शत्रु को मारी भगबो। संकट से
मोरो घर बचाबो। करो रख्या अन्न जन धन की मेरी दीन दयालू
मेलडी माई। इतनो कारज पूर्ण करो, जो न करो न कराबो तो
बाल जती हुनमाण की दुहाई। थे न करो तो सूर्य नारायण की
आण फरे। मेरी भगती गुरो की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा।”
इस श्री सूर्य मेलडी मंत्र (Shri Surya Meldi Mantra) को जपने के लिये अशिवन मास की प्रथम नबरात्रि की रात मे 10 बजे बाद साधक स्नान करके पबित्र होकर लाल बस्त्र धारण कर ले । फिर अपने घर के किसी एक पबित्र कमरे में गंगाजल, गुलाबजल छिडक कर बहां आसन बिछाबे । उस लाल बस्त्र को भी बिछालें और साधक उस पर पूर्ब की और अपना मुख करके बैठ जाये । अपने सामने धूप दीपक, अगरबती जलाबें और एक पानी का लौटा रखे एबं मेलडी माता की पूजा, कुम्कुम, गुलाल, फल, फूल, नारियल, सुखडी से करके । लाल चन्दन की माला से उपरोक्त श्री सूर्य मेलडी मंत्र (Shri Surya Meldi Mantra) की पांच माला जाप करे । जाप पूर्ण होने के बाद पेडा, खीर, चूरमा, हलबा आदि में से किसी एक बस्तु का भोग प्रतिदिन लगाबे इसी भांति यह श्री सूर्य मेलडी मंत्र साधना (Shri Surya Meldi Mantra Sadhana) 108 दिन करे । साधना की अबधि में सभी नियमों का पालन करें । इसमें दीपक घी का करें । समय निशिचत रखें । आसन एक ही स्थान पर रहने दें । पबित्रता का ध्यान रखें । बह्माचर्य का पालन अनिबार्य है । जन्म, मरण और सोच से दूर रहें । साधक भूमि पर ही शयन करें । प्रतिदिन अपने गुरु देब से मार्गदर्शन लेते रहें । पूर्ण श्रधा एबं धैर्य से सभी कामना पूर्ण होती है और संकटों का निबारण हो जाता है ।
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जय माँ कामाख्या