श्री गणेश मंत्र : विघ्नहर्ता श्री गणेश को हिन्दू धर्म में सफलता, धन, और सुख के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके पूजन से न केवल विपत्तियों से मुक्ति मिलती है, बल्कि लक्ष्मी और सिद्धियों की प्राप्ति में भी सहायक होते हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि “लक्ष्मी प्राप्ति और बाक् सिद्धि हेतु श्री गणेश मंत्र” कैसे आपकी मदद कर सकता है।
ॐ नमो आदेश गुरु को। नमो सिद्ध गणपति –प्रसादात् बिघ्न –हर्तुं गणपत गणापत बसो मसाण। जो फल चोहुं, सो फल आण। पंच लाडु, सिर सिंन्दूर। रिद्धि सिद्धि आण। गौरी का पुत्र सिंहासन बैठा। राजा कंपे, प्रजा कंपे। द्रष्टे राजा सिम चांपे। पंच कोस, पूर्ब –पशिचम से आण ! उत्तर से आण, दक्षिण से आण। इतनी कर रिद्धि-सिद्धि मारे घेर द्वार आण। राजा- प्रजा सभी मेरे पडे पांब, न पडे तो लाजे मैया गौरी। जो मैं देखू गणेश बाला कर मंत्र का सत की फट् फट् स्वाहा।।
इस मंत्र की सिद्धि हेतु काल रात्रि, बीर रात्रि, रबि पुष्य, गुरु पुष्य अथबा अमृत सिद्धि योग में सोलह सौ बार जपें। श्री गणेश बिषयक सभी नियमों का पालन करते हुए साधना करें तो यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। मंत्र सिद्धि से साधक “लक्ष्मी की प्राप्ति” एबं “बाक् सिद्धि” प्राप्त करता है।
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