संकटा योगिनी साधना कैसे करें ?

Sankata Yogini Sadhana Kaise Kare ?

योगिनियों का तंत्र में क्या महत्व ये तो सभी जानते है । अप्सरा और यक्षिणियों से भी ऊपर है योगिनिया, माँ का ही दूसरा स्वरुप माना जाता है इन्हे और यह सिद्धि दात्री भी मानी गयी है ।
इनकी साधनाए अत्यंत क्लिष्ट होती है, क्युकी योगिनिया पूर्ण समर्पण मांगती है । और समर्पण ही सफलता की कुंजी है । कभी कभी तो वर्षो साधना करने के पश्चात इनकी कृपा प्राप्ति होती है । किन्तु कुछ पाने के लिए परिश्रम तो करना ही होता है । आज हम आप सभी के मध्य संकटा योगिनी (Sankata Yogini Sadhana) की एक लघु साधना रख रहे है । ये संकटा योगिनी  साधना (Sankata Yogini Sadhana) मात्र एक दिवस की ही है । इसके माध्यम से संकटा योगिनी की साधक पर कृपा होती है । तथा जीवन में आकस्मिक रूप से आने वाले संकटो का अंत हो जाता है । तथा वर्तमान में चल रहे संकटो का भी योगिनी धीरे धीरे करके अंत कर देती है ।
यह संकटा योगिनी साधना (Sankata Yogini Sadhana) को साधक किसी भी अष्टमी की रात्रि में, शुक्रवार की रात्रि में अथवा योगिनी सिद्धि दिवस की रात्रि में भी कर सकता है । रात्रि ११ बजे स्नान कर लाल वस्त्र धारण करे तथा लाल आसन पर उत्तर की और मुख कर बैठ जाये । सर्व प्रथम साधना कक्ष के चारो कोनो में एक एक सरसो के तेल का दीपक जलाकर रख दे । और दीपक में २ लौंग, और एक इलाइची भी डाल दे । ये दीपक संकटा योगिनी साधना समाप्त होने तक जलते रहना चाहिए । अब आसन पर बैठकर भूमि पर लाल वस्त्र बिछा दे । वस्त्र पर किसी भी धातु का लोटा रखे ताम्बे का हो तो उत्तम है । इस लोटे को पूरा अक्षत से भर दे । अब इस लोटे पर एक कटोरी गेहू अथवा चने की दाल से भरकर रखे । और एक गोल बड़ी सुपारी को हल्दी से रंजीत कर कटोरी में स्थापित करे । अब सुपारी का सामान्य पूजन करे । कुमकुम, हल्दी, अक्षत लाल पुष्प अर्पित करे । कोई भी मिष्ठान्न अर्पित करे । यदि घर का बना हुआ हो तो और भी उत्तम होगा । शुद्ध घृत का दीपक प्रज्वलित करे । धुप आदि भी अर्पित करे । हाथ में जल लेकर संकल्प ले की जीवन के समस्त संकटो के निवारण हेतु में यह संकटा योगिनी साधना कर रहा हु । माँ संकटा योगिनी आप मेरे जीवन से समस्त संकटो का अंत कर दीजिये तथा भविष्य में आने वाले सभी संकटो से मेरी रक्षा करे । जल भूमि पर छोड़ दे ।
इसके पश्चात आपके पास जो भी माला उपलब्ध हो उससे निम्न मंत्र की २१ माला जप करे । वैसे इस साधना में मूंगा अथवा रुद्राक्ष माला श्रेष्ठ रहती है । प्रत्येक माला के बाद सुपारी पर हल्दी की एक बिंदी अवश्य लगाये । इस प्रकार २१ माला पूर्ण करे । माला जाप के बाद अग्नि प्रज्वलित कर मात्र १०८ आहुति घृत एवं काली मिर्च से प्रदान करे ।
मंत्र : {{ ॐ ह्रीं क्लीं चण्डे प्रचण्डे हूं हूं हूं संकटा योगिन्यै नमः }}
साधना (Sankata Yogini Sadhana) में अर्पित किया गया मिष्ठान्न अगले दिन गाय को खिला दे । कटोरी में रखा अनाज और सुपारी जल में विसर्जित कर दे । लोटे में भरा हुआ अक्षत किसी भी मंदिर में भूमि पर बिछे हुए लाल वस्त्र में बांध कर अर्पित कर दे । इस प्रकार ये एक दिवसीय साधना (Sankata Yogini Sadhana) पूर्ण होगी तथा साधक पर देवी योगिनी की कृपा होगी। इस मंत्र का एक प्रयोग और है यदि अचानक कोई ऐसी समस्या आ जाये जिसका हल न दिखाई दे रहा हो तो गाय के गोबर का कंडा जलाये और उस पर घी तथा गुड मिलाकर २१ आहुति उत्तर मुख होकर प्रदान कर दे । योगिनी कृपा से कोई न कोई हल निकल जायेगा । परन्तु इसके पहले उपरोक्त साधना (Sankata Yogini Sadhana) अवश्य करे तभी ये मंत्र प्रभाव में आ पायेगा ।

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जय माँ कामाख्या

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