सूर्य ग्रह :
सूर्य ग्रह का राजा है । प्रतिदिन सूर्य ग्रह की पूजा करने से मान- सम्मान और यश की प्राप्ति होती है । सूर्य ग्रह एक राशि में 30 दिन यानी 1 महीने तक रहता है । सूर्य पुरूष ग्रह है जो मेष राशि में ऊच्च का और तुला राशि में नीच का होता है । शनि और शुक्र से सूर्य की शत्रुता है । बुध इसके लिए सम है जबकि चन्द्रमा, गुरु और मंगल इसके मित्र ग्रह है । सूर्य पिता और शारीरिक शक्ति का कारक ग्रह है । सूर्य ग्रह का रंग लाल और स्वामी अग्नि है । सूर्य पूर्ब दिशा के स्वामी है और इनका वर्ण क्षत्रिय है । सूर्य आध्यात्मिक भाबना और पराक्रम का प्रतीक है । सूर्य में सत्व गुण पाया जाता है । सूर्य कभी बक्री नहीं होता ।
सूर्य अच्छा हो तो क्या –
कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो राज्य से सम्मान, अच्छी नौकरी या उच्च ब्यबसाय, ऊंची नौकरी या ऊंचा पद , पिता का सुख, पैतृक संपति का लाभ देता है ।
सूर्य खराब हो तो क्या –
कुंडली में सूर्य खराब हो तो ह्रदय रोग, नेत्र संबधी रोग, धन का नाश, ऋृण, ऊदरबिकार और झूठा अभियोग लगता है ।
खराब सूर्य को कैसे ठीक करें –
कुंडली में खराब सूर्य को ठीक करने के लिए प्रतिदिन सुबह 06.32 बजे सूर्य देब को ताबें के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए । बहीं खड़े होकर 7 बार परिक्रमा करके सूर्य देब को प्रणाम करना चाहिए । हो सके तो बहीं खड़े होकर या बैठकर आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें । इसके अलाबा हरिबंश पुराण का पाठ करने से भी सूर्य लाभ पहुंचाता है । सूर्य को ठीक करने के लिए रबिबार के दिन सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच गेंहूं, गुड और ताबें का दां करना चाहिए । माह में एक बार रबिबार को नदी के बहते पानी में तांबे का सिक्का प्रबाहित करें । ऐसा साल भर करें यानी 1 साल में 12 सिक्के प्रबाहित करें ।
सूर्य का जाप –
सूर्य के लिए 7000 जाप होता है । पर कलियुग में इसे 4 गुना करना चाहिए यानी 28000 जाप कराए तभी समुचित फल मिलता है ।
सूर्य का मंत्र (शास्त्रोक्त मंत्र) – “ॐ सूर्याय नम:”
“ॐ घृणि सूर्य आदित्य ॐ”
तंत्रोक्त या बीज मंत्र – “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।”
सूर्य की महादशा – सूर्य की महादशा 6 साल चलती है ।
बिशेष – सूर्य प्रथम 10 अंशों में फल देता है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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