आकस्मिक धन लाभ के कुच्छ प्रसिद्ध योग :

आकस्मिक धन लाभ के कुच्छ प्रसिद्ध योग :

आकस्मिक धन लाभ योग के कुछ प्रसिद्ध योग जो निम्न मते है …

(अधियोग) – चन्द्र से जब 6, 7 तथा 8बें भाब में शुभ ग्रह हों तब यह आकस्मिक धन लाभ योग बनता है । परन्तु बुध, गुरु तथा शुक्र अस्त नहीं होना चाहिए ।

सम्पति योग – पंचम भाब में तुला राशि हो तथा शुक्र और शनि की स्तिथि 5 तथा 11बें भाब में हो तब यह आकस्मिक धन लाभ योग बनता है ।

धन सुख योग – यदि पुरुष का जन्म दिन में हो तथा अपने हीं नबाशं में चन्द्र स्थिति हो और गुरु द्वारा दृष्ट हो अथबा चन्द्र अपने अधिमित्र के स्थान में स्थित हो तो यह आकस्मिक धन लाभ योग बनता है । स्त्री की पत्री में यह आकस्मिक धन लाभ योग तब बनता है जब जन्म रात्री में हुआ हो तथा चन्द्र अपने ही नबाशं में हो और शुक्र द्वारा देखा जा रहा हो ।

बित्त योग – जब लग्न से पाँचबे भाब में सिंह राशि हो तथा बहाँ सूर्य स्थित हो और एकादश भाब में चन्द्र – गुरु साथ साथ हों ।

गदा योग – इस योग में जन्म लेने बाला 28 बर्ष की आयु के बाद प्रचुर धन की प्राप्ति करता है । समस्त ग्रह जब 1 और 4 अथबा 4 और 7 अथबा 7 और 10बें भाब में स्थित हों अर्थात उक्त दो भाब में ही आ जाए तब यह आकस्मिक धन लाभ योग बनता है ।

अखंड साम्राज्य योग – इस योग में जन्में ब्यक्ति को जब धन लाभ होता हैं तो बह होता स्थायी रूप से है । जब धनेश लग्न में तथा गुरु एकादश भाब में अपने भाब का स्वामी होकर स्थित हो अथबा नबमेश या धनेश चन्द्र लग्न से केंद्र में तथा गुरु 2, 5 अथबा 7बें भाब का स्वामी होकर केंद्र में स्थित हो तो यह आकस्मिक धन लाभ योग बनता है ।

शंख योग – धनदायक तथा ऊँचपद की प्राप्ति करबाने बाला यह योग तब बनता है जब कुंडली में भाग्येश बलबान हो तथा लग्न और दशम भाब में चर राशि हो । यदि लग्न बलबान हो तथा पंचम और षष्टम भाब के स्वामी ग्रह केंद्र में स्थित हो, तब भी यह योग बनता है ।

श्रीमुख योग – लग्न में यदि गुरु, नबम में शुक्र तथा दशम भाब में सूर्य स्थित हो तो श्रीमुख योग बनता है । सुख, ऐश्वर्य तथा अतुलित धनदायक योग जीबन के अधिकांश समय तक अपना सुफल दिखाता हैं ।

आनन्द योग – शनि की राशि में गुरु और शुक्र की राशि में शनि जन परिबर्तन योग बना रहा हो और समस्त ग्रह एकादश भाब में स्थित हों तो यह योग बनता है । सौभाग्यशाली इस योग का सुख ब्यक्ति बर्षों तक भोगता है ।

दानाध्यक्ष योग – अतुलित धन की प्राप्ति करबाने बाला यह योग निम्न छ: प्रकार से बनाता है ।
नबमेश चौथे भाब में हो तथा द्वादशेश का गुरु देखें ।
नबमेश लग्न में तथा गुरु केंद्र में स्थित हो ।
लग्न में नबमेश तथा केंद्र अथबा त्रिकोण में शुक्र हो ।
नबमेश केन्द्रस्थ गुरु को पूर्ण दृष्टी से देखे ।
नबमेश केन्द्रस्थ शुक्र को पूर्ण दृष्टी से देखे ।
भाग्येश ऊँच के बुध को देखे तथा लाभेश केंद्र में हो ।

अनुद्दात योग – मंगल की राशि में शुक्र तथा शुक्र की राशि में मंगल हो, बुध और गुरु मेष राशि में तथा चन्द्र चतुर्थ भाब में स्थित हो तो यह योग बनता है । 30 बर्ष के बाद की अबस्था से ब्यक्ति इस योग में जन्म होने पर अतुलित धन का स्वामी बनता है ।

सागर योग – जीबन के उत्तरार्ध में धनसुख देने बाला यह योग तब बनता है जब मंगल से शनि तक कोई भी एक ग्रह केंद्र में स्थित हो और उस पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टी न हो ।

बाग्भब योग – समस्त शुभ ग्रह केबल 4, 5, 9, 11 तथा 12बें भाब में जब स्थित होते हैं तब यह धनदायक योग बनता है ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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