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धूमाबती यंत्र

धूमाबती यंत्र (तांत्रिक बिधान) :

धूमाबती यंत्र मंत्र : “ओं धूं धूमाबती चतुर्दश भुबन निबासिनी, सकल ग्रहोंचाटिनि, सकल शत्रु रक्त मांस भक्षिणी मम शरीर रक्षिणी, भूतप्रेत पिशाच ब्रह्मा राक्षसादि सकल ग्रह संहारिणी, मम शरीर परमन्त्र, परयंत्र, परतंत्र निबारिणी, आत्म मंत्र यंत्र तंत्र प्रकाशिनी मम शरीरे, परकट्टु, परबाटू, परबेट्टू , परजप, परहोम ,परशून्य परबृष्टि , परकौतुक परोषधादिछेदिनी चिटटेरी काहेरि, कन्नेरि, पाटटेरि शुनक काटटेरि प्रेरिटि काटटेरि दर्भ काटटेरि, पाताल काटटेरी, सकल जाति काटटरि ग्रछेदिनि, मम नाभि कमल स्थान संचार ग्रह, संहारिणी, धुम्रलोचनि , उग्ररुपिणी सकल बिषछेदिनि ,सकल बिष संचयान नाशय नाशय मारय मारय बिषम ज्वर ,ताप ज्वर ,शीत ज्वर ,बात ज्वर ,लूत ज्वर, पयत्य ज्वर ,श्लेष्य ज्वर , मोह ज्वर ,सन्निपात ज्वर , पाताल काटटेरि ज्वर ,प्रेत ज्वर ,पिशाच ज्वर, कृतिम ज्वर , नाना दोष ज्वर ,सकल रोग निबारिणी , सकल ग्रहछेदिनी शिर: शुलाक्षी शूल , कुक्षि शूल , कर्णशूल, नाभिशूल , कटिशूल , पार्श्बशूल ,गंडशूल , गुल्म शुलांग शूल सकल शूलान निधूमय सकल गुहान निबारय निबारय रां रां रां रां रां ,क्षां क्षां क्षां क्षां क्षां ,खे खे खे खे खे , ध्रु ध्रु ध्रु ध्रु ध्रु ,फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें , धूं धूं धूं धूं धूं धुमाबती मां रक्ष रक्ष शीघ्र शीघ्र मागछागछ क्षिप्रमेबारोग्य कुरु कुरु हुं फट धूं धूं धूमाबति स्वाहा ।”

स धूमाबती यंत्र मंत्र को सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, अक्षय तृतीया की रात्री को जाप करें । धूमाबती यंत्र मंत्र जाप १०८ बार करें और घृत सामग्री की आहुती डालें । फिर जब कभी आबश्यकता पड़े तो नीम को टहनी से झाड़ा दें अथबा जल अभिमंत्रित करके दें तो रोगशान्ति हो । इस धूमाबती यंत्र मंत्र के जाप करने से दूसरों का किया हुआ टोटका , टूना ,टामण, कृत्या नहीं चलेगी ।कोई भी काँटा लाने पर झाड़ा देने से दर्द नही करेगा, पलो (सैप्टिक) नही होगा । नाभि का दर्द नही होगा । समस्त ज्वर शान्त होंगे, समस्त बिष उतरेंगे, ग्रहों का प्रक्षेप नही होगा, समस्त शूल तत्काल नष्ट होगें । नाभि शूल, कटिशूल, गोला, कान, पसली का दर्द आदि झाड़ते ही ठीक हो जायेगें । भूत प्रेतादि का साया नष्ट हो जायेगा ।

हबन करके धूमाबती मंत्र लिखें । मंत्र केसरयुक्त अष्टगंध से लिखें तथा हारसिंगार के फूल भी मिलाबें । मधुक फूल भी मिलाबें तथा चमेली अथबा तुलसा की कलम से लिखें । भोजपत्र के ऊपर लिखा हुआ यह मंत्र ताबें के ताबीज में भुजा पर धारण करें, स्त्री गले पर धारण करें । बिजय प्राप्ति के लिए दांई भुजा में धारण करें । स्त्री के गले में तथा बच्चों के गले में बांधे । तांबे की तख्ती पर खुद्बाकर मकान में दीबार पर लगाये और प्रति चतुर्दशी को घृत सामग्री की धूप दें, गंगाजल से धोये । मंत्र सामर्थबान और जागृत रहेगा ।

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