भैरब सिद्धि मंत्र

मंत्र : “ओम नमो काला गौरा खेत्र-पाल ! बामं हाथं कांन्ति, जीबन हाथ क्रूपाल । ओम गंन्ती सूरज थम्भ प्रात:-सायं रथभं जलतो बिसार शर थ्म्भ । कुसी चाल, पाषान चाल, शिला चाल हो चाली, न चले तो प्रूथिवी मारे को पाप चलिए । चोखा मंत्र, ऐसा कुनी अब नार ह्सही ।”
भैरब सिद्धि मंत्र बिधान – बाबा भैरव के इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधक को एक लाख की संख्या मे जप करने के उपरांन्त दस हजार की संख्या मे मंत्रो से आहुति देनी चाहिए । आहुती देते समय मंत्र के अंन्त मे “स्वाहा” जोडकर बोलना चाहिए । साधक को प्रतिदिन नित्य कर्म के उपरांन्त पबित्र अबस्था मे यथा-बिधि भैरब जी का पूजन करके यथा-शक्ति जप पूर्ब मे लिए गए संकल्प के अनुसार नियत संख्या मे जप करना चाहिए । भैरब सिद्धि मंत्र जप के उपरान्त “ह्रीं ह्रों नम:” का उचारण करते हुए भैरव जी को नमस्कार करना चाहिए । इस बिधान के अनुसार साधना करने से भैरव जी सिद्ध होकर साधक की सभी इछाए पूर्ण करते है । लेकिन समरण रखे कि भैरव जी के उपासक को कभी भी कदाचार और अभिमान (घमंड) नहि करना चाहिए ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641 /9937207157 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या

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