शनि देव :

शनि देव :

शनि देव सबसे धीमी गति से चलने बाला ग्रह है । इसे तमो गुण बाला लंगड़ा ग्रह भी कहते हैं । प्रतिदिन शनि देव की पूजा करने से अच्छे स्वास्थ्य के साथ यश की प्राप्ति होती है । शनि एक राशि में ढाई साल यानी 30 महीने रहता है । शनि देव को न्याय का देबता कहा जाता है । शनि देव तुला राशि में उच्च का और मेष राशि में नीच का होता है । शनि के लिए सूर्य, चंद्र और मंगल शत्रु ग्रह है । गुरु सम है जबकि बुध और शुक्र इसके मित्र ग्रह है । शनि नौकर चाकर, प्रभाब, असंतोष और अप्रसन्नता का कारक है । शनि का रंग काला और स्वामी ब्रह्मा है । शनि देव पश्चिम दिशा का स्वामी और इनका वर्ण शूद्र है । इसमें तमो गुण पाया जाता है ।

शनि अच्छा हो तो क्या –
कुंडली में शनि देव अच्छा हो तो धन संपति, बाहन, मकान, नौकर चाकर, आभूषण सहित ढेर सारे सुख देता है । शनि कूटनीतिज्ञ, नेता और राजदूत बनाता है ।

शनि खराब हो तो क्या –
कुंडली में शनि देव खराब हो तो जीबन में बहुत सारी दिक्कतें आती हैं । आर्थिक संकट, दबाइयों पर खर्च, कोर्ट –कचहरी, पुलिस केस आदि तक हो सकते हैं । शनि खराब हो तो बदनामी भी देता है ।

खराब शनि को कैसे ठीक करें –
कुंडली में खराब शनि को ठीक करने के लिए हर शनिबार की शाम शानिदेब की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाए । बहीं सामने सरसों तेल का एक दीया भी जलाएं । इसके अलाबा एक दीया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं । पीपल के पेड़ की 7 परिक्रमा करे फिर घर आ जाएं । घर लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें । इसके अलाबा शाम 7 बजे के आसपास तिल, उड़द, काला कपड़ा, दही और लोहा का दान करना चाहिए ।

शनि देव का जाप –
शनि के लिए 23000 जाप होता है । पर कलियुग में इसे चार गुना यानी 92000 जाप कराएं तभी फल मिलता है ।

शनि का शास्त्रोक्त मंत्र : “ॐ शं शनैश्चरायै नम:”
तंत्रोक्त या बीज मंत्र – “ॐ प्रां प्रीं प्रौं श: शनयै नम:”

शनि की महादशा – शनि की महादशा 19 साल चलती है ।
बिशेष – शनि 20 डिग्री से 30 डिग्री में फल देता है ।

शनि की साढ़े साती –
शनि एक राशि पर ढाई साल रहता है । जब बह आपकी राशि से एक राशि पीछे, आपकी राशि और आपकी राशि से एक राशि आगे यानी आपकी राशि से जब शनि 12 बें, 1 ले और 2 रे स्थान पर भ्रमण करता है तो शनि की साढ़े साती कहलाती है । सामान्यत: यह समय फिजूलखर्ची, परेशानियों और कठिनाइयों से घिरा रहता है । 12 बें होने पर प्रभाब ह्रदय पर होता है । इस अबधि में तमाम बाधाएं आती है । जन्म राशि पर होने पर उसका प्रभाब सिर पर होता है तथा यह दुर्बलता लाता है । जन्म राशि से दूसरे भाब में होने पर उसका प्रभाब पैरों पर होता है । इस अबधि में यह ब्यर्थ का भ्रमण कराता है ।

शनि की ढैय्या –
शनि जब गोचर में आपकी राशि से 4 थी और 8 बीं राशि पर भ्रमण करता है तो शनि की ढैय्या चलती है । सामान्यत: शनि की ढैय्या में हानि, मरण, रोग, बिदेश प्रबास , भाइयों से बिरोध, कलेश तथा चिंता होती है ।

साढ़े साती और ढैय्या में क्या करें ?
जब शनि की साढ़े साती अथबा ढैय्या चल रही हो तो किसी योग्य पंडित से शनि की अनुकूलन पूजा करा लेनी चाहिए ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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