अघोरास्त्र मंत्र
शरीर रक्षार्थ अघोरास्त्र मंत्र :
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भोग यक्षिणी साधना :
भोग यक्षिणी साधना :
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स्वर्ण रेखा यक्षिणी साधना :

स्वर्ण रेखा यक्षिणी” का साधना मंत्र यह है –
“ॐ चर्क चर्क शाल्मल स्वर्णरेखे स्वाहा ।”

साधन बिधि – एक लिंग शिब का षडंग बिधि से पूजन करके कृष्णपक्ष की प्रतिपदा पूर्ब संख्या से उक्त मंत्र का जप आरम्भ करना चाहिए । एक मास तक नित्य 8000 की संख्या में मंत्र का जप करना चाहिए । मास के अन्त में पूजन कर रक्ताबर्ण देबता का एकलिंग में ध्यान करते हुए रात के समय पुन: मूल मंत्र का जप करना चाहिए ।

उक्त बिधि से जप करते रहने पर 6 महीने में सिद्धि प्राप्त होती है ; तब “स्वर्ण रेखा” यक्षिणी प्रसन्न होकर, अर्द्धरात्रि के समय साधक को दिव्य –अंजन, बस्त्र तथा अलंकार भेंट करती है ।

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दूसरों तथा स्वयं की सुख –शान्ति चाहने बालों के लिए ही यह दिया गया है । इसमें दिए गये यंत्र, मंत्र तथा तांत्रिक साधनों को पूर्ण श्रद्धा तथा बिश्वास के साथ प्रयोग करके आप अपार धन –सम्पति, पुत्र –पौत्रादि, स्वास्थ्य –सुख तथा नाना प्रकार के लाभ प्राप्त करके अपने जीबन को सुखी और मंगलमय बना सकते हैं ।
तंत्राचार्य प्रदीप कुमार – 9438741641 (Call /Whatsapp)

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